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VASUDHA GADGIL's Discussions (124)

Discussions Replied To (124) Replies Latest Activity

"इस प्रोत्साहन हेतु सादर धन्यवाद एवं आभार "

VASUDHA GADGIL replied Nov 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32 (विषय: सुबह का भूला)

655 Dec 1, 2017
Reply by योगराज प्रभाकर

"कथा के मर्म पर विस्तृत प्रतिक्रिया देने हेतु सादर धन्यवाद् एवं आभार "

VASUDHA GADGIL replied Nov 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32 (विषय: सुबह का भूला)

655 Dec 1, 2017
Reply by योगराज प्रभाकर

"कथा पसंद करने एवं उत्साह वर्धन हेतु सादर धन्यवाद् एवं आभार "

VASUDHA GADGIL replied Nov 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32 (विषय: सुबह का भूला)

655 Dec 1, 2017
Reply by योगराज प्रभाकर

"प्रदत्त विषय पर सुंदर लघुकथा। द्वंद्वात्मक स्थिति का स्वाभाविक चित्रण सहज और उम्दा ब…"

VASUDHA GADGIL replied Nov 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32 (विषय: सुबह का भूला)

655 Dec 1, 2017
Reply by योगराज प्रभाकर

"उम्दा कथा के साथ शुभारंभ किया आदरणीय।समाज व्याप्त समस्या पर प्रकाश डालती सुंदर कथा।ब…"

VASUDHA GADGIL replied Nov 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32 (विषय: सुबह का भूला)

655 Dec 1, 2017
Reply by योगराज प्रभाकर

"आदतें (प्रदत विषय -सुबह का भूला) दामिनी ससुराल से नाराज़ होकर मायके आई थी।उसकी भाभी…"

VASUDHA GADGIL replied Nov 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32 (विषय: सुबह का भूला)

655 Dec 1, 2017
Reply by योगराज प्रभाकर

"इम्तहान कमल और पवन  स्कूल से लौटकर, खाना खाकर, खेलने  निकल गये। उनके लौटने पर माँ ने…"

VASUDHA GADGIL replied Oct 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-31 (विषय: फ़रिश्ते)

626 Nov 1, 2017
Reply by योगराज प्रभाकर

"संवेदनशील कथा ,उफ्फ... अभी कल रात ही तो तुझे रोटी खिलाई थी.... माँ की आँखें.... व्यथ…"

VASUDHA GADGIL replied Sep 30, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-30 (विषय: "उजाला")

738 Sep 30, 2017
Reply by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani

"बेहद उम्दा कलम... बढिया कथा"

VASUDHA GADGIL replied Sep 30, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-30 (विषय: "उजाला")

738 Sep 30, 2017
Reply by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani

"दवाई उद्योग के रैकेट पर बढिया कटाक्षपूर्ण कथा।बधाई"

VASUDHA GADGIL replied Sep 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-30 (विषय: "उजाला")

738 Sep 30, 2017
Reply by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani

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122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
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गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
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