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kanta roy's Discussions (2,219)

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"नाक को बिम्बित कर एक नई शैली में लिखी गई आपकी यह प्रतीकात्मक लघुकथा विधा में चार चाँ…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"वाह! पढ़ते ही दिल बाग- बाग हो उठा। प्रेमचंद्र जी का गोदान और गोरी की परम्परा को विरा…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"पिता की विरासत का मोल समझने वाले बच्चे वाकई में परिवार,समाज और राष्ट्र के लिये गर्व…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बाबा रे, गजब की तीक्ष्णता, गजब का प्रवाह, लयबद्ध संवादों में पुरोया हुआ ऐसा कथ्य जो…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"विरासत को सम्भाल पाना सबके वश की बात नहीं है।------सार्थक कथ्य उभरकर आया है आपकी लघु…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

" स्त्री जीवन  की  विडम्बना को परिभाषित करते  हुए  आपने निज  स्वार्थ में डूबे हुए पात…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"अफसरशाही की विरासत को  परिभाषित  करती  हुई  ये  लघुकथा  भी  उम्दा हुई  है  आदरणीय वि…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

" वाह ! बहुत ही उम्दा विरासत को पेश  किया है आपने  आदरणीय समर कबीर जी . देश भक्ति औ ज…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"संघर्ष की विरासत बड़ा जीवट था। अपने खेत से बहुत प्यार करता था। दिन भर मेड़ों पर ही…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"व्यवहार, दोस्ती और प्रेम की दौलत--- वाह ! बहुत ही सार्थक कथ्य को उभार  मिला  है  आपक…"

kanta roy replied Aug 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

945 Aug 31, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

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Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
15 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
45 minutes ago

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शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
47 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

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122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
3 hours ago

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