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नाकाम/naakaam's Discussions (19)

Discussions Replied To (19) Replies Latest Activity

"शाहिद जी शुक्रिया,  कॉल करता हूँ मुसीबत में सभी यारों को  पर किसी से भी मेरी बात नही…"

नाकाम/naakaam replied Jul 25, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-121

611 Jul 25, 2020
Reply by Samar kabeer

"रवि जी बहुत आभार आपका, कल से रिप्लाई पोस्ट ही नहीं हो रहा,कुछ तकनीकी समस्या हो शायद ।"

नाकाम/naakaam replied Jul 25, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-121

611 Jul 25, 2020
Reply by Samar kabeer

"मेरी ग़ज़लों से अगर बात नहीं होती हैदिन की अच्छे से शुरुआत नहीं होती है कॉल करता हूँ…"

नाकाम/naakaam replied Jul 24, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-121

611 Jul 25, 2020
Reply by Samar kabeer

"बहुत शुक्रिया जनाब"

नाकाम/naakaam replied May 22, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119

417 May 24, 2020
Reply by नादिर ख़ान

"आभार है आपका , अब गुणीजन की समीक्षा का इंतजार है । "

नाकाम/naakaam replied May 22, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119

417 May 24, 2020
Reply by नादिर ख़ान

"जी भाई सही कहा, "अब करके कुछ दिखा भी तू जादूगरी नई' या मिसरा ए सानी को  यूँ रोज र…"

नाकाम/naakaam replied May 22, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119

417 May 24, 2020
Reply by नादिर ख़ान

"अमित जी,  मेरे हिसाब से यहाँ पर ये कहा गया है कि जख्म पुराना होने से राहत की भी उम्म…"

नाकाम/naakaam replied May 22, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119

417 May 24, 2020
Reply by नादिर ख़ान

"भाई, बहुत ही अच्छा लिखा आपने । मुबारक हो , "

नाकाम/naakaam replied May 22, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119

417 May 24, 2020
Reply by नादिर ख़ान

"लहरों से डर के नाव छुपाना बहुत हुआ साहिल पे कश्तियों का ठिकाना बहुत हुआ इंसान के लि…"

नाकाम/naakaam replied May 22, 2020 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119

417 May 24, 2020
Reply by नादिर ख़ान

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"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
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"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
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"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
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