माँ बहुरूपी
 मौजूद इर्द-गिर्द
 पहचाना मैं!
 ममता बरसाती
 नि:स्वार्थ वामा
 प्रकृति महायोगी
 रोगी-भोगी मैं!
 है त्यागी, चिकित्सक
 सहनशील
 सामंजस्य-शिक्षिका
 शिष्य, लोभी मैं!
 व्यक्तित्व बहुमुखी
 चरित्रवान
 परोक्ष-अपरोक्ष
 लाभान्वित मैं!
 विवादित-शोषित
 कोमलांगिनी
 अग्निपथ गमन
 स्वाभिमानी माँ
 यामिनी या दामिनी
 अभियुक्त मैं!
 बहुजन सुखाय
 आत्म-दुखाय
 उर्वीजा देवी तुल्य
 है पूज्यनीय
 पाता माता में ज्ञाता
 शरणार्थी मैं!
 रामबाण, अर्जुन
 चौकस दृष्टि
 याचक या शोषक
 बहुरूपी मैं!
 पुरुष महास्वार्थी!
.
[चोका काव्य  में  आद्यन्त निरन्तरता अधोलिखित वर्ण-संख्या अनुसार विषम संख्याओं में कुल पंक्तियाँ :
 5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7———और समापन करते समय इस क्रम के अन्त में 7 वर्ण की एक और पंक्ति। ]
(मौलिक व अप्रकाशित)
 शेख़ शहज़ाद उस्मानी
 शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
 [10 मई, 2019]
Comment
आदाब। यह बताया गया है कि चोका काव्य.का समापन 7-7 वर्णों की पंक्तियों से करते हैं।
अतः अंतिम पंक्ति में.यह जोड़कर पढ़ियेगा :
बहुरूपी मैं
समाज-परम्परा
पुरुष महास्वार्थी!
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