For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारे पीछे तुम आयीं, तुम्हारे पीछे हम भागे।
न बोलूं मैं तेरे आगे, न बोलो तुम मेरे आगे।
जुबां खामोश है लेकिन, निगाहें बोल देती हैं।
हम भी रात भर रोये, तुम भी रात भर जागे।

हम भी मुस्कुराते हैं, तुम भी मुस्कुराते हो।
सबसे हम बताते हैं, सबसे तुम बताते हो।
लगा ये रोग कैसा है, हमारे दिल को ऐ जाना।
तुमसे हम छुपाते हैं, हमसे तुम छुपाते हो।

तुम्हारी भावनाओं को, समझता हूं मगर चुप हूं।
सदा खामोश लब की मैं, सुनता हूं मगर चुप हूं।
इशारों ही इशारों में, जो भेजा खत हमें तुमने।
निमंत्रण तेरी आंखों का, पढ़ता हूं मगर चुप हूं।

हमारी वेदनाओं को, नहीं तुम जान पाओगो।
कहेगो अश्क को पानी, हंसोगे टाल जाओगे।
हुआ बेदर्द हाकिम जब, सुनायें दर्द हम किसको।
हमारी कब्र पर आकर, सभी कुछ जान जाओगे।

हम से लोग कहते हैं, जो मन में है बयां कर दूं।
लूटा है मुझे किसने, मैं चोरी ये अयां कर दूं।
दिल की बात दिल में ही रहे, होगा यही बेहतर।
उठेंगी आग की लपटे, जो शोले को हवा कर दूं।

मगन अपनी वो महफिल में, इधर आंसू बहाता हूं।
लगा जो चोट इस दिल को, उसे हंसकर छुपाता हूं।
सुना है मेरी गीतों पर, बहुत वो दाद देतें हैं।
उन्हें मालूम ना शायद, कि नगमे दर्द गाता हूं।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 415

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 24, 2017 at 6:14pm
आदरणीय आरिफ सर! नमस्कार,
मुक्तक की सराहना और मेरा उत्साहवर्ध्दन के लिये आपका हार्दिक आभार।
सर! यह कुमार विश्वास जी की कविता- "कोई दीवाना कहता है" के लय में है। मात्रा- संयोजन मैंने नहीं किया है।
क्षमा सहित।
Comment by Mohammed Arif on February 22, 2017 at 5:26pm
आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी आदाब, बहुत बेहतरीन मुक्तक । सशक्त भावाभिव्यक्ति । एक बात कहना चाहूँगा कि आपने मात्रा संयोजन क्या रखा नहीं लिखा है । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service