For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत कविता : केसर के फूल (गणेश जी बागी)

अतुकांत कविता : केसर के फूल

चौक गया

यह देखकर 

स्कूल के फर्श पर

फैला गाढ़ा रंग
बिलकुल वैसा ही था
जैसा
कुछ वर्ष पहले था
मुंबई के प्लेटफॉर्म पर  
कोई अंतर नहीं
एकदम सुर्ख़ लाल रंग
उपजाऊ भूमि
बो दिया बारूद
इस उम्मीद में

कि .........
केसर फूलेंगे ।

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : सुकून

Views: 1250

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on December 20, 2014 at 11:47am

दर्द बोया उसने सुकून के लिए /

खून बहाया है बस खून के लिए 

उसके जमीर के जागने की उम्मीद ना कर 

वो मौत बांटता है बस जूनून के लिए |

सुंदर और सम्वेदना-पूर्ण एवं सार्थक तुलना करती हुई ,हृदय की एक सार्थक कविता 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2014 at 11:10pm

आदरणीया प्रतिभा त्रिपाठी जी, हम सभी एक दुसरे से सीखते रहते हैं यही इस साईट की खूबसूरती है और यही इसका उद्देश्य, आप उपस्थिति बनाये रखें, सब कुछ आसान सा लगने लगेगा . सराहना हेतु बहुत बहुत आभार .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2014 at 11:06pm

प्रिय नीरज जी, जो कुछ लिखता हूँ सब ओ बी ओ और साथियों की कृपा है, आपको रचना पसंद आयी, मेरे लिए हर्ष का विषय है, दिल से आभार व्यक्त करता हूँ .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2014 at 11:03pm

आदरणीय शिज्जू भाई, आपकी सराहना सदैव प्रोत्साहित करती है, बहुत बहुत आभार .

Comment by Shyam Narain Verma on December 19, 2014 at 12:40pm

 सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2014 at 12:32pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, आप की सराहना कविता को सार्थकता प्रदान कर गयी, बहुत बहुत आभार।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2014 at 12:29pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभार, स्नेह बना रहे सादर।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2014 at 12:27pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, आप तक यह कविता पहुँच सकी उसकी ख़ुशी है, सराहना हेतु हृदय से आभार।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 19, 2014 at 11:00am

-आ0 बागी जी

इस कविता में वैसा ही दंश जैसा  आपकी लघु कथा में होता हैं -

बो दिया बारूद
इस उम्मीद में

कि .........
केसर फूलेंगे---------- लेखनी को नमन i

Comment by Neeraj Nishchal on December 19, 2014 at 9:17am
आदरणीय बागी जी आप चाहेँ लघुकथा लिखेँ या कविता गागर मेँ सागर भर लेने की आपकी प्रतिभा अविभूत करती है कम शब्दोँ मेँ बडा सार । इस समयाकालीन कविता के लिये आपको बहुत बहुत बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service