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"यार मैं एक लड़की से प्यार करता हूँ "-सुजीत ने अपने दोस्त विपिन से कहा |

"प्यार, यार आजकल तो प्यार का ज़माना कहाँ हैं,बस मजे ले और उसे छोड़ दे"-विपिन ने उसे समझाते हुए कहा | 

"पर ,यार  मैं उस से प्यार करता हूँ,मैं किसी के साथ धोका नही कर सकता हूँ "-सुजीत ने उदास होते हुए कहा | विपिन -"यार  इसी में तो मजा है ,खैर कौन है वो लड़की मैं भी तो जानूँ "

सुजीत-"तेरी बहन ,यार "

इतना सुन कर विपिन कुछ न बोल सका | उसे एक बड़ी सीख मिल चुकी थी |

"मौलिक व अप्रकाशित "

 

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Comment by maharshi tripathi on November 26, 2014 at 10:03pm

आपका भी हार्दिक धन्यवाद् ,,,आ. अर्चना जी |

Comment by maharshi tripathi on November 26, 2014 at 10:00pm

 रचना को सराहने के लिए धन्यवाद् ,सोमेश जी|

Comment by somesh kumar on November 26, 2014 at 8:11pm

अपने पे आते ही ऐसा ही होता  है |सुंदर प्रयास 

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