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आप खुश रहना................

है दिए जो जख्म आपने दिल को,

भर दे उसे कोई किसी में है ओ प्रीत कहाँ,

बहते मेरे लावारिस अश्को को कोई थामले,

है एक तेरे सिवा दूसरा मन्मित कहाँ, 

है किये जो घोर अँधेरा मेरे जीवन में,

आक़े करे कोई रोशन है यैसी तक़दीर कहाँ,

जब ह्रदय की आशाएं बंद हो चली हो,

फिर इस बेचैन दिल को मिलता है करार कहाँ,

जब तुम कर चले बेदरंग इस जीवन को,

फिर इस जीवन में किसी और प्रीत रंग की है आश कहाँ,

जिनके प्रेम में था सारी दुनिया का नूर समाया,

प्यार का अब कोई नूर मिले येसा ओ अब दिलवर कहाँ,

तेरे गमे इश्क-में, है अश्क इतने पिए

किसी और गमे इश्क की अब है प्यास कहाँ,

तेरे प्रीत पथ पर हम मिल साथ चले इतना  लम्बा  सफ़र, 

के अब मंजिल की आश में किसी प्रीत-पथ पर चलने की अब चाह  कहाँ,

तू मुझमे समाई मै तुझमे समाया फिर भी ना तुम्हें समझ में आया

समझे मुझे कोइ इस खैराती जीवन में  है यैसी अब चाह कहाँ,

मिल ही गयी आखी आपको मंजिल उसे सजा-संवार लेना,

देखना है मुझको अब मेरी आखिरी मंजिल है कहाँ,

 

                                                                     "अभिराजअभी"

 

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Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 4, 2011 at 10:30am
बहुत -बहुत धन्यवाद  गणेश जी,    आप को मेरा नमस्कार
मै कोई कवी नहीं और ना ही कोई लेखक,मै तो बस आप के इस साईड पर जुड़ना ही मै अपने आप को भाग्यवंत समझता हूँ ,गणेश जी "बागी" मेरे साथ कुछ घटनाएँ ऐसी हो गयी जो मै कभी खिस्सो कहानियों में पठता-सुनता था,जीवन में पैसे का महत्व आज कितना मायने रखता है ये मैंने ,मेरे अटूट-अनमोल रिश्ते टूटने के पीछे पैसे की खनकार की आवाजे अई,मै किन-किन परिस्थितियों से गुजरा हूँ ,मेरे ह्रदय  में कितने दर्द है,यह सब हम अभी आप को बता नहीं सकते, सिर्फ आप को यही कहना चाहूंगा की यैसे ही कुछ हालत उत्पन्न होने की वजह से हमने कुछ लिखने की सोची,पर दुःख इस बात का की मै सही नहीं लिख पा रहा हूँ,मै चाहता हूँ की आप मेरी कुछ पंक्तियों को सही ले में कर-या करादे जिन्हें मै कुछ सालो बाद एक किताब के रूप में परिवर्तित कर दूँ,
       जो कोई भूल हुई हो उसके लिए क्षमा चाहूँगा,!
 
आपका अपना ओ बी ओ सभासद
संजय आर यादव
      मुंबई

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 3, 2011 at 9:41pm
प्रयास अच्छा है , रचना को और माजने की जरूरत है |

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