For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देखो चुपके से रात चली है [नज़्म]

चाँद सितारों संग, महकी बहारों संग,
देखो चुपके से रात चली है ।
गहरी खामोशी में, ऐसी मदहोशी में ,
दिल में फिर तेरी बात चली है ।

चाँद का जब दीदार करूँ तो ।
दिल के झरोखे से प्यार करूँ तो ।
यादों की महकी बारात चली है ।

पूछो ना काटी कैसे तनहाई ।
याद जो आये वो तेरी जुदाई ।
आँखों से मेरे बरसात चली है ।

थाम के बाहें बाहों में ऐसे ।
चले दो राही राहों में ऐसे ।
जैसे संग सारी कायनात चली है ।

प्यार से बढ़के कुछ भी नही है ।
मै भी नही हूँ तू भी नही है ।
रब से हमे ये सौगात मिली है ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on July 3, 2013 at 10:42am

आदरणीय प्राची जी वैसे मै इन बातों का बहुत ख्याल रखता हूँ ....
पर कभी कभी बात ऐसी हो जाती है की भावनाओं को
प्राथमिकता देनी पड़ती है और शब्दों के साथ समझौता करना पड़ता है ...

बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 3, 2013 at 10:21am

आदरनीय आदरणीय गीतिका क्यों नही रखते हैं प्यार तो साँसों की
तरह साथ चलता है लोग बदल जाते हैं बस ,,चीजें बदल जाती हैं बस ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 3, 2013 at 10:15am

आदरणीय अरुण जी बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Neeraj Nishchal on July 3, 2013 at 10:12am

जीतेन्द्र भाई बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 3, 2013 at 10:11am

आदरणीय बब्बन जी बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Neeraj Nishchal on July 3, 2013 at 10:09am

हरीश भाई आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 3, 2013 at 10:08am

कुन्ती जी बहुत बहुत धन्यवाद ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 2, 2013 at 7:34am

जब ह्रदय अपनी हर खुशी के लिए किसी भौतिक प्रेम स्वरुप से ही आश्वस्ति पाता हो तो प्रिय का साथ ही कायनात लगता है... ऐसे ही सांसारिक वैयक्तिक प्रेम को अभिव्यक्त करते ह्रदय के उद्गार..

अब रचना के शिल्प पर एक बात :आख़िरी बंद की आख़िरी पंक्ति में सौगात मिली है...हर बंद के अंत चली है चली है के समान ही साधा जाता तो प्रवाह अंत में कुछ अवरुद्ध होता सा न लगता.

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by वेदिका on July 1, 2013 at 3:16pm

प्यार से बढ़के कुछ भी नही है ।
मै भी नही हूँ तू भी नही है ।
रब से हमे ये सौगात मिली है ।,,,, बहुत अच्छी बात कही आपने आदरणीय नीरज जी! लेकिन कहाँ लोग रब से मिली इस सौगात को सहेज के रखते है,, जब उनके हाथ से ये सौगात निकल जाती है तो हाथ मलते रह जाते है। 

बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर!!

  

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 1:10pm

बेहतरीन भाई जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
13 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service