For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिन्दगी कबो दुख के धुप ,

कबो सुख के छांव होके ला।

तड़प से भरल शहर,

कबो पहाड़ पर बसल गांव होके ला।

जिन्दगी एक सुलगत ईंधन बा

केहु पापी बा, केहू पावन बा।

जिन्दगी का हऽ? कहाँ तक बताई हम

हर कदम पर नया इम्तिहान होके ला।

कबो पलेला माइ के अँचरा मे,

कबो विधालयों मे चहकेला

कबो कालेज मे इतराला

एह तरी जिन्दगी धीरे-धीरे जवान होके ला।

फेर आफिस मे पिस के

गृहस्थी पर कुर्बान होके ला

जिन्दगी विधाता के दिहल

एक प्यारा सा तोहफा बा,

जउन बड़ा किस्मत से नसीब होके ला।

रुठ के दुर चल जाला कबो, अउर

कबो बहुत करीब होके ला।

अइसन हार विधाता दिहलन हमनी के

जे मे कुछ कांट , कुछ कली गुथल रहेला।

दुख के कांट होके, चाहे सुख के कली

एक धागा मे तरिका से संजोवल रहेला।

कबो महलन मे हँसेला ,अउर

कबो झोपड़ीयन मे रोवेला।

कबो मिलन के मधुमास होके ला,

कबो बिछोह के लंबा बनवास होके ला।

कबो जवानी के आफताब

कबो बुढ़ापा के मुरझाइल गुलाब होके ला।

जिन्दगी सुख के दिन

कबो दुख के रात होके ला

जहवाँ भी जाई रउरा

सदा रउरा साथ होके ला

सदा रउरा साथ होके ला............जिन्दगी।।।।।।।।।।।।।

Views: 460

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 6:32pm
bahut sundar,,,,darshnik kavita|
Comment by Raju on March 30, 2010 at 10:03pm
Thanks to all of you.
Comment by Team Admin on March 29, 2010 at 9:02am
bahut achhi kavita likha hai aapne raju jee.......
जिन्दगी कबो दुख के धुप ,त

कबो सुख के छांव होके ला।

तड़प से भरल शहर,त

कबो पहाड़ पर बसल गांव होके ला।
is kavita ka te line mujhe bahut pasand aaya....ye aapki pehli rachna hai aur pehli hi zordar hai......
aasha hai aapki rachna aage bhi humlog ke beech aatu rahegi......

aapka apna
TEAM ADMIN
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on March 28, 2010 at 10:46pm
bahut badhiay likhle bani raju jee......bahut shaandaar.......
जिन्दगी सुख के दिन

त कबो दुख के रात होके ला

जहवाँ भी जाई रउरा

सदा रउरा साथ होके ला

ee line humra bahut pasand aail...hum raua ke ehja etna badhiay rachna likhla khatir dhanyabaad de tani.....
aage bhi raur rachna aawat rahi aasha baa............

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 28, 2010 at 8:54pm
कबो पलेला माइ के अँचरा मे,

कबो विधालयों मे चहकेला ।

कबो कालेज मे इतराला

एह तरी जिन्दगी धीरे-धीरे जवान होके ला।

फेर आफिस मे पिस के

गृहस्थी पर कुर्बान होके ला ।


राजू भाई रौवा जिन्दगी के एतना खूबसूरती से परिभाषित कैले बानी उ तारीफ़ के लायक बा, इ कविता के एक एक गो लाइन ह्रदय के छू लेवे वाला बा , बहुत ही खुबसूरत रचना बा, ऐसही लिखत रही बहुत आगे रौवा जाइब इ हमार सुभकामना बा और विश्वाश बा की ऐसही आगे भी सुन्दर कृति हमनी के देखे के जरूर मिली, धन्यबाद
Comment by Admin on March 28, 2010 at 8:46pm
राजू जी, सबसे पहिले त हम राउर पहिला ब्लॉग इहा पोस्ट करे पर बधाई दिहल चाहब, रौवा आपन पहिला ब्लॉग मे ही गर्दा उड़ा दिहले बानी, बहुत बढ़िया रचना बा, अइसन कुल रचना बहुत कम ही पढे के मिलेला,खाश कर के राउर इ लाइन बहुत सुन्दर बन पडल बा -----

जिन्दगी एक सुलगत ईंधन बा

केहु पापी बा, त केहू पावन बा।

जिन्दगी का हऽ? कहाँ तक बताई हम

ई हर कदम पर नया इम्तिहान होके ला


रौवा जिन्दगी के बहुत ही सुन्दरता से बर्णन कैले बानी, राउर ऐसन रचना के हमनी के बड़ी सिद्दत से आगे भी इन्तजार रही I

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service