For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सामान उठाते हैं

अब लौट के जाते हैं

दिल मेरा दुखाने को

अहबाब भी आते हैं

ये चाँद-सितारे भी

रातों को रुलाते हैं

जो टूट के मिलते थे

वो रूठ के जाते हैं

मैं उनका निशाना हूँ

वो तीर चलाते हैं

हम अपनी उदासी को

हँस-हँस के छुपाते हैं

की ख़ूब अदाकारी

पर्दा भी गिराते हैं

.......दीपक कुमार

Views: 455

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दीपक कुमार on January 25, 2012 at 5:44pm

shukriya Brij bhusan choubey ji !!

Comment by Brij bhushan choubey on January 25, 2012 at 2:24pm

हम अपनी उदासी को

हँस-हँस के छुपाते हैं  lajvab rachna .

Comment by दीपक कुमार on January 24, 2012 at 7:21pm

dhanyawaad Raj Lally Ji..!!

Comment by राज लाली बटाला on January 23, 2012 at 9:40pm

khoob hai ji !! 

ये चाँद-सितारे भी

रातों को रुलाते हैं

Comment by दीपक कुमार on January 22, 2012 at 10:26am

वीनस केशरी bhai, shukrguzaar hoon apka..!!

Comment by दीपक कुमार on January 22, 2012 at 10:24am

aadarniya Saraubh Pandey ji, bahut-bahut Dhanyawaad !! koshish karoonga OBO par niyamit aataa rahoon.

Comment by वीनस केसरी on January 15, 2012 at 8:40pm

जो टूट के मिलते थे

वो रूठ के जाते हैं

वाह दीपक जी
क्या कहने
छोटी बह्र को आपने खूबसूरती से निभाया है


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2012 at 8:42pm

विशेष प्रभाव से आपने कहन को दमदार बना दिया है, दीपकजी. प्रस्तुत पंक्तियों पर विशेष साधुवाद.

ये चाँद-सितारे भी

रातों को रुलाते हैं ..

 

मैं उनका निशाना हूँ

वो तीर चलाते हैं

प्रविष्टियों से सहयोग बनाए रखें. .. बधाइयाँ.

 

Comment by दीपक कुमार on January 13, 2012 at 8:41pm

धन्यवाद अभिनव जी..!!

Comment by Abhinav Arun on January 13, 2012 at 8:32pm

"मैं उनका निशाना हूँ

वो तीर चलाते हैं"  +

"की ख़ूब अदाकारी

पर्दा भी गिराते हैं"

बहुत खूब ! अच्छे शेर कहे हैं हार्दिक बधाई दीपक जी !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
14 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
15 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
15 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
15 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
15 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
15 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई दयाराम जी, हार्दिक धन्यवाद।"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service