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सिर्फ सुख में रहें सब नये वर्ष में - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२ /१२२१/२२१२


खूब आशीष  दो  रब नये वर्ष में
सिर्फ सुख में रहें सब नये वर्ष में/१
*
सुन जिसे पीर मन की स्वयं ही हरे
गीत  ऐसा  लिखें  अब  नये वर्ष में/२
*
छोड़कर द्वेष बाँटें सभी में सहज
प्रेम की सीख मजहब नये वर्ष में/३
*
नीति ऐसी बने जिससे आगे न हो
बन्द कोई भी मकतब नये वर्ष में/४
*
काम आये यहाँ और के आदमी
सिर्फ साधे न मतलब नये वर्ष में/५
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 19, 2022 at 4:32pm

आ. भाई बृजेश जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद। 

मपनी गलत लिख गयी है इसे यूँ देखें

२१२/२ १२/२१२/२१२

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 17, 2022 at 10:56pm

बहुत बढ़िया कहा आदरणीय धामी जी...इस मापनी में पहली ग़ज़ल पढ़ी है....

कृपया ध्यान दे...

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