For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शांत है सोया हुआ जल --(गीत)-- मिथिलेश वामनकर

उफ़! करो कोई न हलचल,

शांत सोया है यहाँ जल ।

 

नींद गहरी, स्वप्न बिखरे आ रहे जिसमें निरंतर।

लुप्त सी है चेतना,  दोनों दृगों पर है पलस्तर।

वेदना, संत्रास क्या हैं? कब रही परिचित प्रजा यह?

क्या विधानों में, न चिंता, बस समझते हैं ध्वजा यह।

कौन, क्या, कैसे करे?  जब,

हो स्वयं निरुपाय-कौशल।

 

पीर सहना आदतन, आनंद लेते हैं उसी में।

विष भरा जिस पात्र में मकरंद लेते हैं उसी में।

सूर्य के उगने का रूपक, क्या तनिक भी ज्ञात होगा?

क्रांति की जलती मशालों से इन्हें आघात होगा ।

बस बनाते रह गए,

सब बात या बातों में अटकल।

 

क्या सही है, क्या गलत है? इस विषय पर मौन जनता।

शोक हैं अनिवार्यता, उस बात पर त्यौहार मनता।

कौन यह स्वीकार करता- यह अचेतन की दशा है।

अंध श्रद्धा से भरा मन,  एक व्यसनी का नशा है।

कब भला पहचान पाए,

कौन दूषित, कौन निर्मल?

 

लोक उन्मुख कौन कितने, लोक हन्ता कौन कितने?

क्या प्रकृति समझो तनिक, वाचाल कितने मौन कितने?

सत्य की अर्थी उठाकर कौन आया है सदन में?

भेद क्या समझो तथागत और निर्मम दश-वदन में।

चल रहा क्रंदन युगों से,

जाग रे! इक बार पागल।

 

 

------------------------------------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
------------------------------------------------------------

Views: 1183

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 18, 2017 at 1:22am

आदरणीय बृजेश जी, इन पंक्तियों से बिम्ब प्रतीक हटाकर सीधे लिख रहा हूँ

अब करो कोई न क्रांति, व्यर्थ है 

शांत है, सोती हुई जनता अगर 

सादर 

Comment by बृजेश नीरज on January 17, 2017 at 10:27pm

मिथिलेश भाई, आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार! रचना में संशोधन कराने का मेरा कोई उद्देश्य नहीं था; वह आपका अधिकार है. यह कहा जाता है सोया हुआ व्यक्ति मरे हुए व्यक्ति के समान होता है, इस दृष्टि से उसे शांत ही माना जाना चाहिए. मस्तिष्क की सक्रियता एक महत्वपूर्ण अंतर है. सोते समय अवचेतन मस्तिष्क काम करता रहता है.

आपकी रचना के लिए पुनः बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 16, 2017 at 9:29pm

आदरणीय बृजेश जी, बहुत दिनों बाद आपको मंच पर देखकर बहुत अच्छा लग रहा है. इस प्रयास की सराहना के लिए हार्दिक आभार. आदरणीय पहली दो पंक्तियों को व्यंग्य या ताना मानकर देखिये संभवतः मेरा कथ्य आप तक पहुंचे. सोता हुआ शांत कैसे रह सकता है अवचेतन मन अपनी उधेड़बुन में लगा रहता है जिसे स्वप्न के रूप में अभिव्यक्त करता है. फिर भी आपको यदि शंका लग रही है तो आप मार्गदर्शन कीजिये तदनुसार मैं संशोधन कर लूँगा. सादर.

Comment by बृजेश नीरज on January 16, 2017 at 9:12pm

अच्छे गीत के लिए बधाई आदरणीय! लेकिन पहली दो पंक्तियों से एक शंका उभरी है उसका कुछ समाधान करने का कष्ट करें जिससे गीत का पुनर्पाठ करके उसका आनन्द ले सकूँ. शंका यह कि- जो सोता है, वह तो शांत ही होगा? कृपया शंका समाधान करें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 16, 2017 at 8:19pm

आदरणीय गिरिराज सर, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2017 at 4:26pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , बहुत सुन्दर गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ आपको ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2017 at 10:26pm

आदरणीय अभिषेक जी, आपकी मुक्तकंठ प्रशंसा पाकर अभिभूत हूँ. इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2017 at 10:25pm

आदरणीय बृजेश जी, आपकी मुक्तकंठ प्रशंसा पाकर अभिभूत हूँ. इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर

Comment by Abhishek kumar singh on January 12, 2017 at 9:40pm
वाहहहहह अत्यंत भावपूर्ण और सरस गीत ,नमन
हार्दिक बधाई उत्कृष्ट रचना के लिए
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 12, 2017 at 9:01pm
अनुपम..अद्भुत गीत सृजित हुआ आपकी समर्थ लेखनी से..नमन करता हूँ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
12 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service