For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अक्षत,हल्दी छूकर सपने.....

अक्षत,हल्दी छूकर सपने, द्वारे-द्वारे जाएंगे.
शायद कुछ लौटे आमंत्रण,अब स्वीकारे जाएँगे.
                               **
जबसे कोई मौन ,दृगों पर, होकर एकाकार बँटा,
मन के भीतर जाने क्या-क्या,जाने कितनी बार बँटा.
गीतों के घर , मुझसे पहले, ये बँटवारे जाएँगे.
                               **
पूछे दो बूंदों का सागर, पनघट रीत कहाँ बैठा है,
दिखतीं जहाँ परिधियाँ केवल, मेरा मीत वहां बैठा है.
नहीं पहुचती जहाँ कल्पना,क्या हरकारे जाएँगे.
                              **
पलक- पाँवडों की पीड़ा ने, विकल किया फिरसे तन-मन,
बाहर खुशबू , भीतर-भीतर,एक सुलगता चन्दन वन.
कैसे अंगारों पर चलकर ,दिन, पखवारे जाएँगे.
                              **
काँधों पर सूरज को ढ़ोया, आँखों में बरसात कटी,
आते-जाते दिन बीता और,गाते-गाते रात कटी .
लेकर सजल उनींदी आँखें ,हम भिनसारे जाएँगे.
                  **************  

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश शर्मा on April 26, 2011 at 5:53pm
 बहुत-बहुत धन्यवाद् अमित जी.
Comment by अमिताभ त्रिपाठी ’अमित’ on April 26, 2011 at 11:11am

सुन्दर गीत और उतना ही अच्छा उपसंहार! बधाई!

सादर

Comment by राजेश शर्मा on March 4, 2011 at 4:12am
धन्यवाद् "ताहिर "जी, 
Comment by विवेक मिश्र on March 3, 2011 at 11:33pm
इसे कहते हैं 'सुन्दर प्रवाह के साथ संजोये गए सुन्दर भाव'. मुखड़े से लेकर अंतरे तक हरेक पंक्ति मंत्रमुग्ध करती है. हार्दिक बधाई.
Comment by राजेश शर्मा on March 3, 2011 at 7:37pm
बागी जी , वंदना जी, रश्मि प्रभा जी,रचना पर प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत-बहुत आभार. 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 2, 2011 at 3:13pm
काँधों पर सूरज को ढ़ोया, आँखों में बरसात कटी,
आते-जाते दिन बीता और,गाते-गाते रात कटी .
बहुत खूब , बेहद संजीदा रचना है , कोट किया हुआ पक्ति मुझे बहुत ही भाया , इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार कीजिये आदरणीय राजेश शर्मा जी |
Comment by rashmi prabha on March 2, 2011 at 12:45pm
काँधों पर सूरज को ढ़ोया, आँखों में बरसात कटी,
आते-जाते दिन बीता और,गाते-गाते रात कटी .
बहुत बढ़िया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service