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यह तमन्ना है मुझे आज पुकारे वो भी

यह तमन्ना है मुझे आज पुकारे वो भी
मेरी आँखो के करे आके नज़ारे वो भी

सिर्फ़ बाक़ी हे तेरी याद का हल्का सा दिया
यादे माज़ी के छुपे सारे सितारे वो भी

खुदगर्ज़ जेहन से मिट जाए अना की तस्वीर
अपनी पोशाक रयाकार उतारे वो भी

चाँदनी रात हे खूशबू की महक हे हर सू
आके दरया पे ज़रा ज़ुल्फ संवारे वो भी

जो बहुत दूर है. नज़रों से तखय्युल के परे
फलसफा कहता हे रोशन हैं सितारे वो भी

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 17, 2010 at 10:46am
वाह वाह आदिल साहिब अच्छी ग़ज़ल कही है आपने, उम्मीद है आगे भी आपकी और पोस्ट और अन्य फनकारों के पोस्ट पर आपके विचार पढ़ने को मिलेंगे | शुक्रिया |

कृपया ध्यान दे...

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