For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख्वाबों की दुकान से ख़रीदे थे अरमानो के बीज,

सोचा था रोपूँगी   एहसास की ज़मीं पे...
कहा था तुमसे सींच देना , क़द्र के पानी से अपने, 
कल जो देखा तो चिटक गयी थी ज़मीं,
और बीज भी जल से गए हों जैसे...
वो बीज मैं गलत उठा लायी लगता है,
तुम ने सींचा तो था न.....ठीक से........????
 
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
 
तुम अपनी राह चलो और मैं अपनी चलती हूँ, 
अब इस के सिवा इन्तेजाम क्या होगा..
तुम्ही ने पंख दिए थे तो उड़ रही थी मैं,
न जाने गिर पड़ी कैसे पता चला ही नहीं..
पंख सहलाते जले ज़ख्मो पे मरहम रखते,
ख्याल आया कि शायद यही हुआ होगा...
तुम्ही ने नोच लिए पर कि कहीं जा न सकूँ,
भरोसा खुद पे ही नहीं तो मुझ पे क्या होगा.......
 
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 8:49pm

आदर्य सरिता सिन्हा जी,
आपकी कवितायें बांच कर बहुत अच्छा लगा .

वो बीज मैं गलत उठा लायी लगता है,

लगा कि  कविता की कला अपने पूर्ण कौशल  के साथ  साक्षात  खड़ी  है,,,,,,,, लगा कि  सम्बन्धों में आई दरारें  संवेदना के आँचल में से झांक रही हैं,,,,,,,लगा कि  नारी हृदय  की  कोमलकांत  भावनाओं को  प्रखर स्वर  मिल गया है ..........

तुम्ही ने नोच लिए पर कि कहीं जा न सकूँ,
भरोसा खुद पे ही नहीं तो मुझ पे क्या होगा.......


आपकी  लेखनी से निकले  हर शब्द को मेरा  सादर नमन

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 14, 2012 at 5:22pm

ईश पुत्री , सस्नेह 

वो बीज मैं गलत उठा लायी लगता है,

तुम ने सींचा तो था न.....ठीक से........????
बहुत खूब ,प्रश्न और प्रश्न , 
तुम्ही ने नोच लिए पर कि कहीं जा न सकूँ,
भरोसा खुद पे ही नहीं तो मुझ पे क्या होगा..
क्या बात कही. बहुत सुन्दर 
बधाई.
Comment by Sonam Saini on June 14, 2012 at 5:11pm

नमस्कार मैम
जितनी भी तारीफ की जाये कम है , बहुत गहरी बाते है
कई बार पढ़ी , इतनी गहराई से वही इंसान लिख सकता है जो महसूस कर चूका हो !

तुम्ही ने नोच लिए पर कि कहीं जा न सकूँ,
भरोसा खुद पे ही नहीं तो मुझ पे क्या होगा......
ati sunder.................
 
Comment by yogesh shivhare on June 14, 2012 at 4:10pm

इतने कम शब्दों में इतने सवाल पूछ लिए .और दर्द और अहसाश की नक्काशी जो उतारी है अपने .बहुत सुन्दर सरिता जी ...बधाई सा सम्मान स्वीकार करें सरिता जी

 

सोचा था रोपूँगी   एहसास की ज़मीं पे...

कहा था तुमसे सींच देना , क़द्र के पानी से अपने,

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service