For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पन्ने जिंदगी के!

पन्ने जिंदगी के!
पलट रहा था मैं यूँही बैठा बैठा ये पन्ने जिंदगी के
कुछ लम्हे ख़ुशी के कुछ नगमे दर्द-ए-गम के
कोई मीठी पुकार, तो कहीं से आरही थी फटकार
कहीं बहा मेरा खून पसीना,तो कहीं बेफिक्री का सोना
बचपन की यादों का मेला ,मेले में एक मदारी
डम-डम डमरू की हुंकार
फिर माँ का प्यार भरा पुचकार
मेरे किशोरोपन में भी कई तस्वीरे बन रही थी
किसी लड़की पे मर जाना,
फिर उससे लड़ना झगड़ना,और मनाना
फिर आ पंहुचा आज में,
एक सड़े हुए कूड़ेदान में,
घर से हजारो मीलों की दूरी,
ऊपर से ये मजदूरी
धुप में जलना, मेहनत करना
फिर शाम को खा कर घुलट जाना
सबकुछ तारो ताज़ा हो गई
फिर पुस्तक में एक खाली पन्ना अगया
मै समझ गया, भूत, वर्तमान ख़त्म अब भविष्यतकाल आगया
तो भैया चलता हूँ रंग भरने इसमें कुछ करने, गुजरने
फिर कभी फुर्सत में उलट पलट कर खुश होऊंगा
ये पन्ने मेरी जिंदगी के...............
-'वीर'

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Biresh kumar on July 29, 2010 at 8:06am
thanks sanjay jee

aap logo ke bahumulye partikariyaayein milti rahe to jarur likhunga....
Comment by Sanjay Kumar Singh on July 25, 2010 at 2:31pm
achha paryas hai,thought badhiya hai, aap badhiya likh saktey hai, lagey rahiyey, thanks ,
Comment by Biresh kumar on July 22, 2010 at 1:40pm
dhanyabad bagi jee!!!!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 22, 2010 at 10:01am
वाह वीर वाह , ओपन बुक्स ऑनलाइन का भी तो यही उद्देश्य है की आप किताब के पन्नो को पलटिये और हमारे साथ सुख और दुःख को बाटिये, कहा भी गया है कि दुःख बाटने से घटता है और सुख बाटने से बढ़ता है , आप की भावना आपकी कविता हुब हू समझा देने में सक्षम हैं, सुंदर अभिव्यक्ति ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service