For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बात क्या है जो रात भारी है : अरुन शर्मा 'अनन्त'

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22

बात क्या है जो रात भारी है,
इश्क है या कोई बिमारी है,

जान लेती रही हमेशा पर,
याद तेरी बहुत दुलारी है,

मौत से डर के लोग जीते हैं, 
जिंदगी ये ही सबसे प्यारी है,

हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है,

हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है....

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 754

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 4:44pm

आदरणीय सारथी भाई जी आपकी टिपण्णी पा कर दिल खुश हो गया हार्दिक आभार आपका.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 4:43pm

हार्दिक आभार भाई नीरज मिश्रा प्रेम जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 4:42pm

शुक्रिया निलेश जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 4:42pm

हार्दिक आभार हेमंत भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 4:42pm

अनुज राम

हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है.//////////////////////भाई यहाँ कुछ कम समझ पाया मै .. काहे भाई कम काहे समझे आप स्पष्ट तो लिखा है . 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 4:41pm

हार्दिक आभार तपन जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 4:41pm

हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 4:40pm

हार्दिक आभार आदरणीया सरिता जी

Comment by Meena Pathak on December 5, 2013 at 3:37pm

हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है........ क्या बात है .. बहुत सुन्दर गज़ल हुई आ०अरुन जी बधाई स्वीकारें | सादर 

Comment by Saarthi Baidyanath on December 5, 2013 at 1:25pm

बात क्या है जो रात भारी है, 
इश्क है या कोई बिमारी है....बेजोड़ ,बस क्या कहने !..

हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन, 
सादगी फूल सी तुम्हारी है........ नजाकत से लबरेज ...वाह अरुन साहिब ..कमाल की ग़ज़ल कही है ..! बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह-मुकरी * प्रश्न नया नित जुड़ता जाए। एक नहीं वह हल कर पाए। थक-हार गया वह खेल जुआ। क्या सखि साजन?…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कभी इधर है कभी उधर है भाती कभी न एक डगर है इसने कब किसकी है मानी क्या सखि साजन? नहीं जवानी __ खींच-…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय तमाम जी, आपने भी सर्वथा उचित बातें कीं। मैं अवश्य ही साहित्य को और अच्छे ढंग से पढ़ने का…"
10 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय सौरभ जी सह सम्मान मैं यह कहना चाहूँगा की आपको साहित्य को और अच्छे से पढ़ने और समझने की…"
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह मुकरियाँ .... जीवन तो है अजब पहेली सपनों से ये हरदम खेली इसको कोई समझ न पाया ऐ सखि साजन? ना सखि…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"मुकरियाँ +++++++++ (१ ) जीवन में उलझन ही उलझन। दिखता नहीं कहीं अपनापन॥ गया तभी से है सूनापन। क्या…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
yesterday
Aazi Tamaam posted blog posts
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service