For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1.किरीट सवैया


कोमल कोपल आमन बीचल, बैठि गयी धुन ताल सुनावत !
आय गयो फिर पीत बसन्तम, प्यार रसाल अलाप लुभावत!!
बागन बीच उड़े तितली मधु, बालक भांवर सो इतरावत !
फूल हँसे विहसे तन औ मन,‘सत्यम‘ ज्ञान विराग लुटावत!!

2.दुर्मिल सवैया


जब कन्त नहि हमरे घर मा, यहु बैरन कोकिल छेड़ रही !
फल फूल फले बगिया वनमा, पिक काक तिलेर चिढाये रही!!
ऋतुराज भले तुम जार मरो, वन .केसर. टेसु जलाय रही!
फिर काम रती धनुवा न चलो, महदेव उमा समुझाय रही!!
के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 398

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 26, 2013 at 5:58am

आदरणीय श्री राजेश कुमार झा जी,  आपका हार्दिक आभार एवं धन्यवाद।

 

Comment by राजेश 'मृदु' on March 25, 2013 at 12:37pm

बहुत ही सुंदर । दुर्मिल में 'छेड़ रही, चिढ़ाय रही, के बाद जलाय रही एवं समुझाय रही' थोड़ी अवरोध पैदा कर गए किंतु आनंद पूरा रहा, सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 24, 2013 at 11:33am

"आदरणीया वंदना तिवारी जी, आपकी उदार भावना एवं ‘छंद‘ सराहना के लिये आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार एवं धन्यवाद।"

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 24, 2013 at 11:32am

"आदरणीय श्री जवाहर लाल सिंह जी, छंद सराहना के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार!"

Comment by Vindu Babu on March 23, 2013 at 11:15pm
आदरणी केवल प्रसाद जी आपकी लेखनी अत्यन्त प्रभावशाली है।
साहित्यिक क्षेत्र मे अप्रतिम सफलता की शभकामनाएं।
सादर
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 23, 2013 at 8:12pm

बहुत ही सुन्दर रसपूर्ण !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
22 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service