आलीशान वाहन में देखा ,
 बैठा था एक सुन्दर पिल्ला !
 खाने को इधर रोटी नहीं ,
 गटक रहा था वह रसगुल्ला !
इर्ष्या हुयी पिल्ले से ,
 क्रोध आ रहा रह-रह कर !
 मै भूख से मर रहा ,
 यह खा रहा पेट भरकर !
देख रहा ऐसी नज़रों से,
 मानों समझ रहा भिखारी 
 सोचने पर मजबूर था ,
 इतनी दयनीय दशा हमारी!
आदमी मरेगा भूख से ,
 पिल्ला रसगुल्ला खायेगा !
 किसी ने सच ही कहा है ,
 ऐसा कलयुग आयेगा!
राम शिरोमणि पाठक "दीपक"
 मौलिक/अप्रकाशित
Comment
pathak ji biamta ka najara badhai
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