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ख़ामोश रहें तो भी मुश्किल
कुछ बात कहें तो भी मुश्किल..

जो राज़ छुपे हैं सीने में
खुल जाएं तहें, तो भी मुश्किल..

वादा था किया ख़ुश रहने का
आंसूं जो बहें तो भी मुश्किल..

वो दर्द मुसलसल दें चाहे
हम दर्द सहें तो भी मुश्किल ..

विपरीत बहें हम धारों के
जो साथ बहें तो भी मुश्किल ..

- नंद कुमार सनमुखानी

"मौलिक और अप्रकाशित"

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Comment by Mohammed Arif on April 23, 2018 at 12:05pm

आदरणीय नंद कुमार जी आदाब,

                             आपकी यह दूसरी ग़ज़ल भी बहुत ही बेहतरीन । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

   नोट:- आपने एक साथ दो ग़ज़ल पोस्ट कर और दोनोंं में ही अर्कान नहीं लिखें । कृपया अर्कान लिखें । जब एक रचना पर प्रतिक्रिताएँ आ जाए तो फिर दूसरी रचना पोस्ट करें तो बेहतर होता है ।

कृपया ध्यान दे...

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