For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : बलात्कार (गणेश जी बागी)

"इंस्पेक्टर प्लीज़ लॉज माय एफ आई आर",  आधुनिक परिधान पहने खूबसूरत युवती गॉगल्स को सर पर चढ़ाते हुए रौबदार आवाज़ मे बोली  | 
"मैडम कृपया बैठिए और आराम से बताइए कि आख़िर बात क्या हुई" 
"इंस्पेक्टर, उसने मेरा रेप किया है, मैं उसके खिलाफ केस दर्ज करवाने आई हूँ"
"कब कैसे और कहाँ हुआ यह सब, कृपया विस्तार से बताएँ",   इंस्पेक्टर ने युवती से पूछा | 
"इंस्पेक्टर, यह दो महीने पहले की बात है, जब हम दोनो अकेले दुबई टूर पर गये थे "
"तो एफ आई आर दो महीने बाद क्यों ?"
"वो कमीना दूसरी लड़की के साथ कल सिंगापुर टूर पर...."

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा :मतिमूढ़

Views: 1236

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 17, 2013 at 1:07pm

प्रिय शुभ्रांशु भाई, आप तो न्यायिक प्रक्रिया को नित्य दिन ही देखा करते हैं आपसे क्या छुपा है ! बहुत बहुत आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 17, 2013 at 1:04pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सत्यनाराण सिंह जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 17, 2013 at 1:04pm

आदरणीय डॉ अनुराग सैनी जी, आपकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 17, 2013 at 1:02pm

आपका बहुत आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्प्णी नवलेखन में सहायक होती है । 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 16, 2013 at 9:54pm

बडे शहरों की हवा बिगड़ी हुई है और  वर्तमान  कानून भी एक पक्षीय हो गया है । यही हाल रहा तो कुछ बरस में लाखों पुरुष विशेषकर युवा जेल में चक्की पीसते नज़र आयेंगे ॥ लघु कथा की हार्दिक बधाई गणेश भाई ॥

Comment by Saarthi Baidyanath on November 16, 2013 at 8:34pm

ये लघु-कथा, दो चरित्रों के अन्तः चरित्र को रेखांकित करने में सफल रही है ...मुझे सार्थक लगी ..बहुत बढ़िया बागी साहब ...:) 

Comment by Neeraj Neer on November 16, 2013 at 8:07pm

हा हा हा .. बहुत जबरदस्त कटाक्ष करती हुई लघु कथा .. बलात्कार का एक पहलु यह भी है .. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2013 at 7:58pm

कोई कथा अथवा लघुकथा मुख्यतः उसके कथानक, पात्रों के चरित्र-चित्रण, निहित वातावरण के वर्णन, इसके पात्रों के पारस्परिक कथोपकथन, उनकी प्रयुक्त भाषा एवं कथ्य शैली तथा कथा या लघुकथा के उद्येश्य जैसे छः विन्दुओं की कसौटी पर मान्यता पाती है. मैं इन्हीं विन्दुओं के सापेक्ष किसी कथा या लघुकथा को आँकता हूँ.

गणेश भाई आपकी प्रस्तुत लघुकथा इन सभी विन्दुओं पर पूरी कसावट में है.

प्रस्तुत कथा का कथानक अलोप सा प्रतीत अवश्य होता है किन्तु इसके अति मुखर वातावरण के कारण वह इतनी सान्द्रता से अभिव्यक्ति पाता है कि पाठक मन में मानों चलचित्र सा घूम जाता है. साथ ही साथ, जिस बेलौस मग़र चलताऊ ढंग को बखूबी उभारा गया है वह कथा के उद्येश्य को सार्थकता से पाठकों के सामने परोस देता है.

मैं लघुकथा की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए आपको इस प्रस्तुति के लिए बारम्बार बधाई दे रहा हूँ. शुभेच्छाएँ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 16, 2013 at 7:28pm

बड़ी मुश्किल हो रही है | पुलिस में भी हर कोई आसानी से ऍफ़ आई आर दर्ज कराने जाते हुए डरता है टो दूसरी और

बदले की भावना भी एक समस्या बनी हुई है | वर्मान व्यवस्था पर करारा व्यंग किया है | हार्दिक बधाई  

Comment by Shubhranshu Pandey on November 16, 2013 at 6:53pm

आदरणीय गणॆश भैया, 

IPC 376 के हो रहे  'उपयोग' पर एक करारा व्यंग.....

बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service