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आत्मावलोकन के क्षणों में

मन मेरे

जब तू जूझता

डूबता , उतराता

फिर थक के बैठ 

किनारे सुस्ताता है

औ तब ये सब 

देख रही होती हैं 

मेरी आँखे 

सबसे परे

उन सारे पलों को

तुझे जीते हुए

औ तभी

विहँस पड़ती हैं

उसी क्षण 

जब उनमें से 

चुन लेता है तू

एक मोती    

18th May2012

Views: 668

Comment

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Comment by Sarita Sinha on May 19, 2012 at 2:28pm

प्रिय महिमा जी, बहुत खूब, आँखों के मोतियों का बहुत बढ़िया justification.......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 19, 2012 at 1:53pm

बहुत प्यारी रचना 

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