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ओ बी ओ का नव रूप ..

कितने वक़्त के बाद आई यहाँ ..

जैसे कोई अपनों के बीच फिर आये ..
उमड़ते घुमड़ते विचारों की गठरी ..
बाँध- ढो के  साथ साथ ले आये ..

बदला कुछ नहीं ,फिर भी बदल गया है सब ..
एक नयी रंगत और एहसास में रंग गया है अब ..
कितने नए चेहरों की है आवाजाही ..
नए विचारों को अपने साथ ले आये ...

दौर सा जैसे गुज़र गया कोई ..
एक नया दौर आगया है अब ..
नए कलेवर में कुछ मज़ा ही अलग सा है ..
खुशबू तेज़ इतनी की हम चले आये ...


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Comment by Abhinav Arun on March 4, 2012 at 9:53am
आदरणीया लता जी ! पुनर्स्वागत आपका और इस आगमन पर लिखी गयी कविता नयी ताजगी का एहसास खुद ही करा रही है हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!

कृपया ध्यान दे...

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