For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गीत - जय कृष्ण राय 'तुषार'

पिछले दिनों जय कृष्ण राय 'तुषार' जी ने फोन पर एक गीत सुनाया, जिसे सुनकर मन प्रसन्न हो गया 
आज उनकी सहमती लेकर वह गीत यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा करता हूँ की, ओ.बी.ओ. परिवार को गीत पसंद आयेगा व कमेन्ट द्वारा आप तुषार जी को अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करायेंगे -- आपका वीनस केसरी
.
.
सवा अरब की जनसंख्या में 
नेता केवल एक हजारे |
कैसे भ्रष्टाचार मिटेगा 
हमें बताओ रामदुलारे |
.
.
एक किरन बेदी झाँसी की -
रानी बनकर खड़ी हुई है ,
बचपन से ही चट्टानों से 
टकरा करके बड़ी हुई है ,
लेकिन नीति नियंताओं ने 
उसको भी कर दिया किनारे |
कैसे भ्रष्टाचार मिटेगा 
हमें बताओ रामदुलारे |
.
.
कुछ हजार थे अनशन वाले 
बाकी रोटी सेंक रहे थे ,
फ्लैट टीवियों से चिपके हम 
जंतर मंतर देख रहे थे ,
घूम रहे थे टैटू वाले 
बुद्धा गार्डन बदन उघारे |
कैसे भ्रष्टाचार मिटेगा 
हमें बताओ रामदुलारे |
.
.
फिर टूजी घोटाले होंगे 
फिर पवार ,कलमाड़ी होंगे ,
जब चुनाव आयेगा ये ही 
सबसे बड़े खिलाड़ी होंगे ,
जाति - धरम के फतवे होंगे -
होंगे मतदाता  बेचारे |
कैसे भ्रष्टाचार मिटेगा 
हमें बताओ रामदुलारे |
.
.
संविधान का गला घोंटकर 
उसकी ही दे रहे दुहाई ,
हम जनता बलि के बकरे हैं 
राजनीति हो गयी कसाई ,
बेटे हुए जनम के अंधे 
अम्मा  कितना काजल पारे |
कैसे भ्रष्टाचार मिटेगा 
हमें बताओ रामदुलारे |
.
.
लोकतंत्र के रखवालों को 
बाबा अपना योग सिखाओ ,
भ्रष्टाचार मिटानेवाली 
कोई बूटी - जड़ी बताओ ,
कौन कर गया जादू - टोना 
कौन देश की नजर उतारे |
कैसे भ्रष्टाचार मिटेगा 
हमें बताओ रामदुलारे |
.
.
कवि - लेखक काफ़ी हॉउस में 
बड़ी - बड़ी बातें करते हैं ,
लाभ -हानि के गुणा -गणित में 
सच कहने से अब डरते हैं ,
बुझदिल जनता मौन रहेगी 
चाहे कोई खाल उतारे |
कैसे भ्रष्टाचार मिटेगा 
हमें बताओ रामदुलारे |

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on May 1, 2011 at 7:23pm

आप सभी का आभारी हूँ की गीत को आपने पसंद किया, और सराहा

 

मैं आपके कमेंट्स तुषार जी तक पहुंचा दूंगा,

धन्यवाद 

Comment by chain singh shekhawat on April 23, 2011 at 10:12pm
आज के हालात और हमारी विवशताओं को साक्षात् साकार किया है कवि ने..बहुत खूब..बधाई..
Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on April 23, 2011 at 12:54pm

 

"आप ने जैसे भी पेश किया हो , है रचना बहुत ही सुन्दर , धन्यवाद वीनस जी ,आप को बधाई..............

Comment by ismat zaidi on April 23, 2011 at 9:05am
bahut badhiya !
Comment by Shyamal Suman on April 23, 2011 at 7:59am
सोने की चिड़िया कभी अपना भारत देश।
लेकिन अब हालात जो सुमन हृदय में क्लेश।।

रोटी बहुजन को नहीं उनके छत आकाश।
प्रतिदिन बदतर हाल है संकट में विश्वास।।

आस लगाये लोग हैं होगा नया सुधार।
शब्द भाव संयोग से बेहतर गीत तुषार।।

सादर
श्यामल सुमन
+919955373288

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 23, 2011 at 7:37am
वाह!!! तुषार जी ने इस गीत के माध्यम से कईयों को आड़े हांथों लिया है| कथ्य, शिल्प, बिम्ब, प्रतीक सभी लाजवाब हैं| तुषार जी को बहुत बहुत बधाई इस नवगीत के लिये| वीनस भाई आपका भी शुक्रिया इस बहुप्रतीक्षित गीत को सुनवाने के लिए|

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 21, 2011 at 9:08pm
बेटे हुए जनम के अंधे 

अम्मा  कितना काजल पारे..

 

वाह वाह वाह , बहुत खूब तुषार जी , काफी अच्छी रचना है , एक एक पक्ति चुन चुन कर सजाई गई है , बेहद भावपूर्ण रचना पर तुषार जी को बधाई , भाई वीनस को भी धन्यवाद , आपके कारण हम सब को इस रचना का अस्वादन करने का मौका मिला |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
5 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
5 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service