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दुनियां के सभी रिश्तों में प्रमुख रिश्ता हैं माँ
सचमुच में हर प्राणी के लिए फरिश्ता हैं माँ।।

 

घने कोहरे में गर मंजिल नजर न आयें।
बंद हो सब रास्ते तो इक रास्ता हैं माँ।।

 

दुनियां के इस खौफनाक बियाबां में दोस्तों।
वहशियों से काबिले-हिफाजत पिता हैं माँ

सगे-संबंधी मित्र-बंधु सभी सुख के साथी।
लेकिन दु़ख में साथ निभाने वाली सहभागिता हैं माँ।।

 

धरती-आस्मां स्वर्ग-पाताल के सभी एश्वर्यो की दाता।
सुर असुर नर मुनि योगी यतियों की भी वरियता हैं माँ।।

 

जीवन पथ प्रदर्शक पाप संताप निवर्तक।
पूजा-पाठ ज्ञान-ध्यान सुरति-निरति में प्रियता हैं माँ।।

 

हर व्यापार व्यवहार कला औ कलाकारी में एवं।
कवियों के गीतो छंदों की रचियता हैं माँ।।

 

ज्यों धरती और आकाश के मध्य दूरी बेहिसाब
त्यों दिल में बसा तेरा वात्सल्य दूरदर्शिता हैं माँ।।

 

गर पहना दें कोई बनवा अपनी चमडी की जूतियां।
फिर भी तेरे एहसान की कीमत कोई ना चुका सकता हैं माँ।।


नेमीचन्द पूनिया चन्दन

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Comment by nemichandpuniyachandan on April 14, 2011 at 7:13pm

sir,Many thanks

Comment by Rash Bihari Ravi on April 14, 2011 at 6:56pm

हर व्यापार व्यवहार कला औ कलाकारी में एवं।
कवियों के गीतो छंदों की रचियता हैं माँ।।

 

khubsurat sir ji

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2011 at 5:56pm

पुनिया साहिब , काफियाबंदी पर ध्यान देने की जरूरत , तिलक सर की क्लास में अभी इसी सब बातों पर चर्चा हो रही है , देखना चाहेंगे | ख्याल अच्छे |

http://www.openbooksonline.com/group/kaksha

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