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अब दागों की ही रवायत हो गई
ज़िन्दगी गोया तवायफ हो गई
 
अब वफ़ा ही शूल सी चुभने लगी 
आप की जब से इनायत हो गई 
 
है मुहब्बत कह दिया चौराहे पर 
जाने किस किस से अदावत हो गई
 
जो हुए गाफिल तो भुगतेंगे जनाब 
आप को कैसे शिकायत हो गई 
  
यूँ किताबों में लिखे अधिकार है 
मांग बैठे,बस क़यामत हो गई
 
तान के मुक्का यूँ ही लहरा दिया
लीजिये अपनी बगावत हो गई
 

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Comment

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Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 28, 2011 at 11:40pm
vandana ji shukriya
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 28, 2011 at 11:39pm
abhaar ganesh ji

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 26, 2011 at 10:26am
है मुहब्बत कह दिया चौराहे पर 
जाने किस किस से अदावत हो गई...
बहुत खूब अश्वनी जी , अच्छी ग़ज़ल कही है , कोट किया हुआ शे'र बहुत खुबसूरत लगा , बधाई आपको ...

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