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क़मर जौनपुरी's Blog – December 2018 Archive (6)

गज़ल -16 ( सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए)

बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम

फ़ाइलुन, फ़ाइलुन, फ़ाइलुन

पूछते हो जो क्या चाहिए

सिर्फ माँ की दुआ चाहिए//१

ख़्वाब मुरझा गए हैं अगर

ख़्वाब की ही दवा चाहिए//२

ज़िन्दगी अब मुकम्मल हुई

तुम मिले और क्या चाहिए//३

आ गए हैं सितारे मगर

चाँद का आसरा चाहिए//४

क़ैद में ही रहीं तितलियां

अब उन्हें भी हवा चाहिए//५

शाइरी का गुमाँ मत करो

खूब ही तज्रिबा चाहिए//६

ज़ुल्म क्यों ख़त्म…

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Added by क़मर जौनपुरी on December 19, 2018 at 11:30am — 5 Comments

गज़ल -16 ( पत्थर जिगर को प्यार का दरिया बना दिए)

बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़

मफ़ऊलु, फ़ाइलातु, मुफ़ाईलु, फ़ाइलुन

221, 2121, 1221, 212

ग़ज़ल

*****

उनकी नज़र ने मेरे सभी ग़म भुला दिए

पत्थर जिगर को प्यार का दरिया बना दिए//१



जैसे छुआ हो अब्र ने तपती ज़मीन को

छू कर वो मेरी रूह को शीतल बना दिए//२

ख़ुशबू उठी है क़ल्ब में सोंधी सी इश्क़ की

यादों ने उनके प्यार के छींटे गिरा दिए//३

हल्की सी बस ख़बर थी कि निकलेगा चाँद कल

स्वागत में उसके मैंने सितारे…

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Added by क़मर जौनपुरी on December 15, 2018 at 11:00pm — 3 Comments

गज़ल -15 (हस्ती ही मिट गई है तेरे इस ग़ुलाम की )

221-2121-1221-212



धज्जी उड़ी हुई है सभी इन्तज़ाम की

क़ानून की सिफ़त है बची सिर्फ नाम की//१

तुम थे हवा हवाई बचा के नज़र गए

मेरी तरफ़ से कब थी मनाही सलाम की।//२

दिल में जगा के टीस चले मुस्कुरा के तुम

अब दिल में धक लगी है तुम्हारे पयाम की//३

बौरा के जब बसन्ती हवा झूमती चले

कोयल सुनाए कूक तुम्हारे कलाम की//४

अब ज्ञान बाँटने का है ठेका उन्हें मिला

जो खा रहे हैं मुफ़्त में बिल्कुल हराम की/५

इक शाम जो…

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Added by क़मर जौनपुरी on December 6, 2018 at 10:31pm — 7 Comments

गज़ल -14( खुदा की सारी रहमत इश्क के आँचल में रहती है)

1222-1222-1222-1222



अगर दिल को अदब औ शायरी से प्यार हो जाए

तुम्हें भी इश्क की खुशबू का कुछ दीदार हो जाए //१

मचलते दिल की धड़कन में चुभे जब इश्क का कांटा ।

ख़ुदा से रूह का रिश्ता तभी बेदार हो जाये//२

खुदा की सारी रहमत इश्क़ के आँचल में रहती है

छुपा लो सर को आँचल में हसीं संसार हो जाए//३

फ़ना हो जाए दीवाना जुनूने इश्क़ की ख़ातिर

खुशी से चूमे सूली को ख़ुदा का यार हो जाए//४

ये दिल बेजान वीना की तरह खामोश रहता…

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Added by क़मर जौनपुरी on December 5, 2018 at 12:23am — 7 Comments

गज़ल -13( फिर भी नादान कलेजे में ज़हर रखता है)

2122 1122 1122 22/112

छोड़ जाएगा यहीं सब ये ख़बर रखता है

फिर भी दौलत पे वो मर मर के नज़र रखता है//१

ज़िन्दगी प्यार के अमरित से ही होती है रवां

फिर भी नादान कलेजे में ज़हर रखता है //२

कितना मज़बूर है वो रोड पे भूखा बच्चा

एक रोटी के लिए कदमों में सर रखता है//३

आदमी कितना अकेला है भरी दुनिया में

कहने को भीड़ भरे शह्र में घर रखता है//४

पहले शैतान से डरने की ख़बर आती थी

आज इंसान ही इंसान से डर रखता…

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Added by क़मर जौनपुरी on December 2, 2018 at 8:17am — 7 Comments

गज़ल -12( जब मुल्क़ में नफ़रत का ये बाजार नहीं था)

221--1221--1221--122

जब मुल्क़ में नफऱत का ये बाज़ार नहीं था

हर शख़्स लहू पीने को तैयार नहीं था //१

अब बाढ़ सी आई है शबे ग़म की नदी में

जब तुम न थे दिल में तो ये बेज़ार नहीं था//२

जो देश की सरहद पे सदा ख़ून बहाए

क्या देेेश की मिट्टी से उन्हें प्यार नहीं था//३

मिट जाएं सभी जंग में हिन्दू व मुसलमाँ

ऐसा तो मेरे हिन्द का त्यौहार नहीं था//४

जब मुल्क़ परेशां था फिरंगी के सितम से

मिल जुुल के लड़े मुल्क ये लाचार नहीं…

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Added by क़मर जौनपुरी on December 2, 2018 at 7:30am — 5 Comments

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