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जगदानन्द झा 'मनु''s Blog – June 2012 Archive (3)

मैं न जाने कहाँ खो गया

ढूंढने गया मैं खुद को

बाज़ार में

मैं न जाने कहाँ खो गया

चाँदी की खनक में

सोने की दमक में

मैं न जाने कहाँ खो गया



क्यों आया हूँ यहाँ

मैं क्या हूँ ?

मैं भूल गया

इस चमक-दमक की दुनियाँ में

मैं खुद को ही भूल गया



मैं भूल गया

मेरे हाथों में

कलम की ऐसी ताकत थी

ऊपर वाले की देन कहें

या हृदय की मेरी गागर थी



चलती थी

मेरी अश्रु स्याही से

भावो के मोती विखेरने को

समराग्नी की ताकत रखती थी

नव-निर्वाण की हुँकार…

Continue

Added by जगदानन्द झा 'मनु' on June 23, 2012 at 1:30pm — 9 Comments

गीत -मैं भी कुछ सुनाऊँ तुमको, जो एसी भी शक्ति दी होती

मैं भी कुछ सुनाऊं तुमको,

जो ऐसी भी शक्ति दी होती



हे माँ तेरी चरणों में,

कुछ मेरी भी अर्जी तो होती



मैं दीन हूँ माँ समझो,

पर हीन न समझा करो



सीने से न अपने सही,

चरणों से न दूर करो



मैं पुत्र कुपुत्र हूँ माँ,

समझा न तेरे मन को



तुम तो माँ कुमाता नहीं,

समझो तो मेरे मन को



थोड़ा मुझ को भी दे दो माँ,

स्नेह अपनी झोली से तुम



है माँ बेटे का नाता,

माँ खोयी हो कहाँ तुम | …

Continue

Added by जगदानन्द झा 'मनु' on June 7, 2012 at 1:00pm — 6 Comments

मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

होता हूँ जब अकेला चुपके से आता है

मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

कभी बन आँखों में आँसू

कभी बन दिल में कसक

रातों को जगाने सपनों में

मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

मैं अपने गाँव का, गाँव मेरा है

उसके सपने सारे सपने मेरा है

होता हूँ जब अकेला चुपके से आता है

मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

मैं अपने गाँव को सम्हालूँगा

मैं अपने सपनों को फिर से सजाऊंगा

टूटा हुआ तारा हूँ मैं जिस गाँव का

फिर से…

Continue

Added by जगदानन्द झा 'मनु' on June 6, 2012 at 5:30pm — 12 Comments

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