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M Vijish kumar's Blog – January 2014 Archive (3)

कविता - " क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा "

जब रातें होंगी अधूरी सी ,

न बातें होंगी पूरी सी ,

न हाथों में हाथ होगा ,

न तेरा मेरा साथ होगा ,

क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

याद में तेरी आँखों से आँसु छलक जाते ,

अब हम हर सपनों में बस तुझे ही पाते ,

इस वीराने में भी जन्नत सा मज़ा आता ,

अगर हम एक दूसरे के हो जाते।

क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

सुलघति हुई गलियों में होगा चलना ,

काँटों भरी राहों में होगा मिलना ,

बस प्यार तेरा पाना ही होगी मेरी मंज़िल ,

मेरे…

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Added by M Vijish kumar on January 3, 2014 at 2:00pm — 11 Comments

कविता - प्यार ....... बस तेरा प्यार .......

१ )

लाता एक नया रंग सा,

कुछ अलग एक नया ढंग सा,

कभी नशा सा, कभी मदहोशी सी,

मेरी ज़ुबान पे कभी ख़ामोशी सी।

प्यार ....... बस तेरा प्यार .......

२)

आस दिलाई फिरसे कसमों ने वादों…

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Added by M Vijish kumar on January 2, 2014 at 8:30am — 9 Comments

कविता - कसूर

गुस्ताख निगाहें भी पहली नज़र में फिसल गई ,

जी भर के देख भी न पाया ,

इसमें मेरा क्या कसूर था।

नादान दिल के कदम भी लड़खड़ाते-लड़खड़ाते संभल गए ,

दूरी मै  तय न कर पाया ,

इसमें राहों का क्या कसूर था।

चंद लम्हा भी तेरे बिन रेह न सका, तेरे प्यार में इतना मजबूर हुआ ,

वक़्त ने हरकत ऐसी ली,

इसमें मेरा क्या कसूर था।

रूबरू हुआ जब तुझसे मै, मुझपे सवार तेरा फितूर हुआ ,

ज़ोर किसी का कहाँ चलता है ,

इसमें दिल का…

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Added by M Vijish kumar on January 1, 2014 at 8:30pm — 12 Comments

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