For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sudhir Dwivedi
  • Male
  • India
Share on Facebook MySpace

Sudhir Dwivedi's Friends

  • Seema Singh
  • Mala Jha
 

Sudhir Dwivedi's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
KANPUR
Native Place
KANPUR

Sudhir Dwivedi's Blog

घूँघट

“सुन री छोटी ! सीख कुछ मुझसे. जब देखो मुंह उघारे घूमती रहे है, घूँघट काढ़ा कर |” “ना जीजी हम नही बन सके तुम्हारे जैसे पर्देदार ! देखी हैं हम तुम्हारी नजर.. घूँघट के पीछे से घूरे है छुटके देवर जी का शरीर जब देखो तब |” “का फायदा ऐसे घूँघट का..?” देवरानी ने पलट जवाब दे मारा जेठानी पर |

मौलिक एवं अप्रकाशित

Posted on May 14, 2015 at 11:39am — 19 Comments

देशभक्ति (लघुकथा)

"अरे इस बॉल पे तो चार रन बन जाते पर सब तो पेप्सी के एड से ही कमाते है..। देश जाए भाड़ में." रेस्टोरेंट में टी वी देखते हुए स्वदेश ने ज्यूँ ही बिल देखा।"अरे ये १४० रूपये टैक्स के क्यों जोड़ दिए कच्चा बिल ही बना देते।"

"पर बाबू जी इसी टैक्स से तो देश चले है। चुप कर जानता है कौन हूँ मैं ?" "सेल्स टैक्स की रेड पड़वा दी तो भूल जाएगा ये देशभक्ति।"

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Posted on April 25, 2015 at 9:47am — 12 Comments

लेडीज फर्स्ट (लघुकथा)

“हमे औरत समझ के कमजोर मत आंकना | आज की औरत मर्दों से कमजोर नहीं है” मिसिज चौबे बस के दरवाजे पर खड़े युवक को हडकाते हुए अंदर घुसी ही थी, कि ठसाठस भरी बस में सामने एक सीट पर बैठे एक बूढ़े आदमी को कमजोर जान चिल्लाते हुए बोली |

“ओ बुढऊ ! कुछ शरम वरम है कि नही, उठो बैठना है हमे, जानते नहीं क्या..लेडीज फर्स्ट”

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Posted on April 18, 2015 at 3:30pm — 6 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 4:10pm on April 10, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

At 11:40pm on April 9, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है !

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
10 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service