For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Aakarshan Kumar Giri's Discussions (10)

Discussions Replied To (10) Replies Latest Activity

"जी। मशविरा के लिए शुक्रिया। कोशिश रहेगी कि आगे से इन बिंदुओं पर सुधार करूं।"

Aakarshan Kumar Giri replied Jun 27, 2018 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-96

699 Jun 28, 2018
Reply by Samar kabeer

"थोड़ी सुननी, बहुत सुनानी है। रात है, नींद है, कहानी है।। सबको मदहोश कर गयी है वो। एक…"

Aakarshan Kumar Giri replied Jun 27, 2018 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-96

699 Jun 28, 2018
Reply by Samar kabeer

"बेहतरीन। बधाई।"

Aakarshan Kumar Giri replied May 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-83

467 May 28, 2017
Reply by sunanda jha

"छोड़के मुझको मेरे दर से जब तू निकला था। जैसे आकाश फटे, खूं जिगर से निकला था।। किसी क…"

Aakarshan Kumar Giri replied May 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-83

467 May 28, 2017
Reply by sunanda jha

"क्योंकि तुम मेरे अपने हो..... --------------------- प्रश्न - गैरों को ग़ज़ल सुनाते हो…"

Aakarshan Kumar Giri replied Dec 5, 2010 to "OBO लाइव महा इवेंट" अंक-2 (closed now)

1524 Dec 6, 2010
Reply by Navin C. Chaturvedi

"kavita aapko pasand aayee danyawad. kabhi aakarshangiri.blogspot.com par aayen... in…"

Aakarshan Kumar Giri replied Dec 4, 2010 to "OBO लाइव महा इवेंट" अंक-2 (closed now)

1524 Dec 6, 2010
Reply by Navin C. Chaturvedi

"kavita aapko pasand aayee danyawad. kabhi aakarshangiri.blogspot.com par aayen... in…"

Aakarshan Kumar Giri replied Dec 4, 2010 to "OBO लाइव महा इवेंट" अंक-2 (closed now)

1524 Dec 6, 2010
Reply by Navin C. Chaturvedi

"आज मैं रूठ गया हूँ उसकी तरह से मैं रूठा हैं, शायद मुझे मना लेगा, और नहीं तो कम से कम…"

Aakarshan Kumar Giri replied Dec 4, 2010 to "OBO लाइव महा इवेंट" अंक-2 (closed now)

1524 Dec 6, 2010
Reply by Navin C. Chaturvedi

"तुझ पर कोई भी आंच न आये मोहब्बत में कभी तुम पर, कोई भी आंच न आये कहीं भी तू रहे, सर…"

Aakarshan Kumar Giri replied Dec 4, 2010 to "OBO लाइव महा इवेंट" अंक-2 (closed now)

1524 Dec 6, 2010
Reply by Navin C. Chaturvedi

"खामोश मिलन आज जबकि ये तय है कि हमें बिछड़ जाना है हमारे और तुम्हारे रास्ते अलग अलग…"

Aakarshan Kumar Giri replied Dec 4, 2010 to "OBO लाइव महा इवेंट" अंक-2 (closed now)

1524 Dec 6, 2010
Reply by Navin C. Chaturvedi

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
47 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service