For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिता जी की डायरी से....

पिता जी की डायरी से....

हाय भगवन क्या दिखाया ,
शांति मन में विक्रांति लाकर .
सरज का नव पुष्प कोमल , 
अग्नि ज्वाला में फसाकर,
वेड ही दिवस महिना ,
श्वेत ही वर्ण था निशा का,
शास्त्र ही दिन शेष था.
सूर्य था पश्चिम दिशा का.
उत्साह का उस दिन था पहरा ,
नयन सबही के खिले थे.
एक वर वधु के व्याह में ,
दर्शक बने मन मुग्ध होंगे ,
कला और विज्ञानं,
 सब के चित्त की चोरी करेंगे
आनंद की सरिता बहेगी .
भाव मेरी भी तरंगित ,
आश में ही पल चुकी थी .
नयन की अर्जी से पहले,
मन की मर्जी मिल चुकी थी.
पाँव मेरे चल पड़े थे ,
छोड़ मन को एक किनारे ,
अनजान ही कुछ कर रहे कर,
प्राप्त नयनों के सहारे .
गुथा गए कर जा कहीं पर,
दिल ये दौड़ा था छुड़ाने .
हर गयी उसकी भी ताकत ,
कर न कुछ पाया न जाने .
हाय खंडित हो चला सब ,
मौत के द्वारे खड़ा था,
हाथ में विद्युत् पड़ी थी ,
आह भर वेवस पड़ा था.
एक भी छन भी न बीता ,
 छीन  सब कुछ ले लिया था.
जिंदगी के प्यार में ,
मुझको महा गम दे दिया था.
देख कर मेरी दशा ,
विधि ने दया मुझ पर दिखाया .
हाथ कम्पित से फिसल कर ,
ज्वाल खुद ही निम्न आया.
दोष मैं किसका बताऊँ ,
रंज मालिक हो गए थे .
बात हम सब कुछ समझ कर ,
उस समय में सो गए थे.
-----------------------------अवधेश कुमार तिवारी 

Views: 391

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by R N Tiwari on February 1, 2011 at 10:15pm
आप  लोगों  के  मर्मस्पर्शी विचारों को पढ़कर महसूस हुआ की भोजपुरी समाज की भावुकता अद्वितीय और बेमिशाल है. बहूत बहूत धन्यवाद..
---आर .एन .तिवारी
Comment by Abhinav Arun on January 25, 2011 at 11:25am
 

जीवन के अनुभव अपने आप में एक काव्य अनुभूति होते हैं | इनकी मधुर अभिव्यक्ति है इस रचना में | कोटिश धन्यवाद इस रचना को ओ.बी.ओ. के ज़रिये हम तक लाने के लिये आर.एन. तिवारी जी

Comment by guddo dadi on January 24, 2011 at 11:00am

 

इतना दर्द भावनाओं में


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 24, 2011 at 9:06am

सर्व प्रथम तो आदरणीय अवधेश कुमार तिवारी जी को कोटिश: प्रणाम , और आप को बहुत बहुत धन्यवाद जो एक मोती की क्गुब्सुरत चमक से हम सब को रूबरू कराया | बेहद खुबसूरत काव्य कृति |

एक बार पुनः धन्यवाद RN तिवारी जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service