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ये तेरी ज़द मे रहता है

ये तेरी ज़द मे रहता है , तू अपनी हद मे रहता है ........
परिंदा दिल का कब खींची हुई सरहद मे रहता है ........
सफ़र अब तय नही होता ... चलो अब लौट जाते हैं ........
अगर हो प्यास सहरा सी , समंदर सूख जाते हैं .......
चलो छोड़ो मुसाफिर , तुमसे किस्मत के सितारे ही नहीं मिलते .......
अहद - ए - हाज़िर में देखो ... सहारे किसको मिलते हैं .......
शिकस्ता - जान कश्ती को , किनारे अब नही मिलते .......
बहारें गुन्छा - गुन्छा सबकी किस्मत में नहीं होतीं ........
कोई काग़ज़ के फूलों से हमेशा खुश ही रहता है ........

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