For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पत्र: माँ के नाम...!!

माँ... ... ...

आज खुश हूँ बहुत...

शायद इसलिए... कुछ सूझ नहीं रहा...

लिखनें को... सिर्फ इस शब्द 'माँ' के आगे...

शायद समझ आया कि क्यों तुम निहारती थी...

एकटक, कभी... जब मैं पुकारती थी... 'माँ'.. कह के तुझे...

आज समझ आई... दादी का हर पल मेरी जगह...

अपना पोता देखनें की चाहत की वजह...

आज समझ आया क्यों रोती थी तुम...

मेरे ब्याह का सोच के... ... ...

शायद सोचती होगी... अपनी अकेली ज़िन्दगी...

जो शायद बेटे के होने पर ना होती...

पर, माँ... ... ... मुझे क्यों नहीं एहसास होता...

मुझे क्यों नहीं चाह होती... बेटे की... ... ...???

आज... प्रकृति ने नवाजा है मुझे भी...

अपनें अनोखे चमत्कार से...

फूटा है एक अंकुर... मुझमें भी...

अब बनेगा एक पेड़... जिसे सीचूंगी मैं भी...

फिर उसके फल का इंतज़ार...

तेरी तरह... मैं भी सुनती हूँ...

अपनीं सासू माँ को... पोते की छह में मजबूर...
पर, तय किया है... मैंने भी...

जन्मूंगी एक बीज... जो किसी के आँगन का वृक्ष बनें...

ना जन्मूंगी कोई फल... जो एक वक़्त के बाद सड़ जाये...

महकाएं हैं 'दो अंगान' मैंने...

और महकाएगी...

मेरी "बेटी" भी... ... ...!!

::::::::जूली मुलानी::::::::

::::::::Julie Mulani::::::::

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Julie on December 17, 2010 at 10:12pm
बागी जी आपके शब्द भी बिलकुल सही हैं... शुक्रिया मेरी रचना को सरहाने का...!!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 17, 2010 at 10:50am

बेहतरीन जुली, आप की कविता सारगर्भित होती है .....

 

माँ शब्द ही भरा पूरा शब्दकोष है, अगर कोई माँ को समझ ले तो आगे समझने के लिये कुछ रह ही नहीं जाता |जुली मैं तो बस यही कहना चाहूँगा कि.............

 

बेटा और बेटी मे,

अंतर कहा होता है,

बीज हो या फल,

ना मिले संरक्षण तो,

दोनों सड़ जाता है,

बिना फल के बीज कहा से आयेगा,

ना रहे बीज तो,

फल भी ना उपज पायेगा,

बेटा और बेटी है,

एक दुसरे के पूरक पल्वित,

बिना दोनों के,

यह संसार है अकल्पित,

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
12 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
17 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
39 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
40 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
41 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
42 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
44 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. मतला अच्छा…"
50 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय विकाश जोशी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. कृपया आयोजन में सक्रियता…"
55 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान जी, सादर अभिवादन! बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. कृपया…"
58 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीया रिचा जी, सादर अभिवादन! कृपया मंच और गुणीजनों का संज्ञान लें. धन्यवाद!"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीया मंजीत कौर जी, सादर अभिवादन! सुन्दर ग़ज़ल से मंच को नवाज़ने के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए.…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service