For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘हमें मालिक बने रहने दीजिए, मजदूर मत बनाइए’

पर्यावरण की चिंता हर बरस शुरू होती है, उसके बाद दम तोड़ देती है। पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई के बाद जंगल घटते जा रहे हैं, वहीं प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। पर्यावरण से खिलवाड़ का खामियाजा हर किसी को भुगतना पड़ रहा है, फिर भी हम चेत नहीं रहे हैं और हरियाली को हर तरह से उजाड़ने में लगे हैं। विकास के नाम पर पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही हैं और यही धीरे-धीरे हमारे जीवन पर आफत बनती जा रही है या फिर दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि पर्यावरण में धीमी मौत घुलती जा रही है, जो प्रदूषण के तौर पर हमें मुफ्त में मिल रही है।
वैसे पर्यावरण की समस्या केवल इसी राज्य की नहीं है, बल्कि भारत के अलावा दुनिया भर में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इसी के चलते पिछले बरस कोपेनहेगन में पर्यावरणविदों ने माथापच्ची की थी और हिदायत भरे लहजे में यही कहा गया था कि पर्यावरण से किसी भी कीमत पर खिलवाड़ मत करो, ऐसा करके खुद ही अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हो। बावजूद पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर, यदि कोई अपने ही सिर पर पत्थर पटकने के लिए उतारू हो जाए तो फिर इसे पर्यावरण विनाशकों का सनक ही कहा जा सकता है।

ऐसे हालात के बाद भी जब सरकारें विकास के नाम पर पर्यावरण हितों को दरकिनार कर दंभी निर्णय ले ले और हर तरह से पर्यावरण समेत खेती रकबा को उजाड़ने पर उतारू हो जाए, तो जाहिर सी बात है कि ऐसी सरकार के खिलाफ आम जनता खड़ी जरूर होगी। ऐसा ही माहौल छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बनता जा रहा है। छग सरकार द्वारा जिले में 34 पॉवर प्लांट लगाने संबंधी एमओयू किए जा चुके हैं और यह सिलसिला अभी भी चल ही रहा है। इनमें कुछ ने निर्माण कार्य भी शुरू करा दिए हैं तो कुछ जमीन के फिराक में लगे हैं। दूसरी ओर सरकार के निर्णय के खिलाफ जहां जिले के किसान शुरू से मुखर रहे हैं, वहीं पर्यावरण के जानकारों ने भी इसे सरकार की मनमानी करार दिया है। सरकार के दंभी रूख के कारण प्लांट प्रबंधन भी किसी भी स्तर पर जाकर जमीन हथियाने पर उतारू हैं, लिहाजा किसानों में आक्रोश पनप रहा है। प्लांट प्रबंधन द्वारा दलालों के माध्यम से किसानों को बरगलाकर उनके पूर्वजों की द्विफसली जमीन को हथियाने, कोई कोर-कसर बाकी नहीं रख रहे हैं और हर हथकण्डे आजमाए जा रहे हैं। जैसे भी हो, साम, दाम, दंड, भेद से जमीन अपने कब्जे में लेने पुरजोर कोशिश की जा रही है। सरकार ने किसानों के हितों को दरकिनार कर प्लांट प्रबंधन को जैसे खुली छूट दे रखी है, यही कारण है कि जिन प्लांटों की पर्यावरणीय जनसुनवाई भी पूरी नहीं हुई है, वह भी किसानों की जमीन दबोचने में लगे हैं। इसके खिलाफ किसानों ने आवाज तो उठाई ही है, साथ ही कुछ विधायकों ने भी मुखर होकर सरकार को ऐसी करतूत पर लगाम लगाने की बात कही है। हालांकि, इन बातों से सरकार को कोई फर्क पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है, तभी तो जांजगीर-चांपा जिले की द्विफसली जमीन की खरीदी धड़ल्ले से जारी है। जिले का एक बड़ा रकबा प्लांट प्रबंधनों के कब्जे में आ चुका है, यही हाल रहा तो जिले से कृषि रकबा का नामो-निशान नहीं रहेगा।
सरकार ने तो जैसे ठान ही लिया है कि जो हो जाए, किसानों के हितों पर जितना भी कुठाराघात हो जाए, पर्यावरण की स्थिति चाहे जितनी भी बिगड़ जाए, हर स्थिति में पॉवर प्लांट लगकर ही रहेंगी। इन्हीं कारणों से प्लांट प्रबंधनों द्वारा मनमाने रूख अपनाए जा रहे हैं, किसानों की जमीन के मुआवजे औने-पौने दिए जा रहे हैं। एक बात है, जिले के अधिकतर इलाकों में किसान, पॉवर प्लांटों को लगने देना नहीं चाहते, यहां पर प्रबंधन द्वारा किसी भी तरह से जमीन खरीदी करने की जुगत भिड़ाई जा रही है। यही कारण है कि जिन किसानों की जमीन ली भी गई है, उन्हें भी मनमाने तरीके से मुआवजा दिए जा रहे हैं।

इसी बात को लेकर पिछले दिनों किसानों द्वारा जिले के नरियरा में लगने वाले 36 सौ मेगावाट के पावर प्लांट के खिलाफ कई महीनों तक धरना-प्रदर्शन, भूख हड़ताल कर आंदोलन किया गया था। बताया जाता है कि केएसके महानदी नाम का यह निजी पॉवर प्लांट, एशिया का सबसे बड़ा प्लांट है। ऐसे में माना यह भी जा रहा है कि सभी प्लांट की अपेक्षा, अकेला यही पर्यावरणीय लिहाज से जिले के लिए घातक साबित होगा। किसानों का आक्रोश केवल यहीं की नहीं है, बल्कि यह आग पूरे जिले में भड़क रही है। आए दिन जिले में केवल पावर प्लांट के कारण आंदोलन होते रहते हैं, जबकि जांजगीर-चांपा एक शांति प्रिय जिले के रूप में पूरे छग में जाना जाता है, मगर पॉवर प्लांट के आगोश में आने के बाद यहां की आबो-हवा बिगड़ती जा रही है। जिले में बाहर से लोगों की आम-दरफ्त बढ़ने से अपराध बढ़ने का अंदेशा भी जताया जा रहा है, लेकिन सरकार है कि किंकर्तव्यमूढ़ बनकर बैठ गई है और ऐसा लगता है, जैसे एक सोच बनाकर ही सरकार कार्य कर रही है कि पॉवर प्लांट से ही विकास संभव है, जबकि सरप्लस बिजली वाले राज्य छत्तीसगढ़ के लिए यह नीति हर तरह से घातक ही है।

यहां बताना यह जरूरी है कि छग, देश पहला राज्य है, जो बिजली वाला सरप्लस राज्य है। इस लिहाज से यहां पॉवर प्लांट की जरूरत ही नहीं है, यदि लगाया भी जाता तो प्लांटों की संख्या इतनी ज्यादा नहीं होनी चाहिए। एक बात और है, जांजगीर-चांपा प्रदेश का सबसे अधिक सिंचित जिला है और यहां वन क्षेत्र भी राज्य में सबसे कम है। जिले में द्विफसल लेकर किसान अपना जीवन यापन करते हैं और कृषि ही उनका मूल आय का स्त्रोत है। साथ ही खेती की जिन हजारों एकड़ भूमि पर पावर प्लांट लगाने की मंशा सरकार ने रखी है, उनमें अधिकतर जमीन द्विफसली है और इन जमीन पर किसानों की कई पीढ़ियां खेती करते आ रही हैं। ऐसे में किसानों की यही चिंता है, जब उनके पूर्वजों की जमीन हाथ से चली जाएगी, तो फिर क्या करेंगे ? उनके पास केवल हाथ मलने के सिवाय कुछ नहीं बचेगा ? अभी यही चिंता जिले के अधिकतर किसानों को खायी जा रही है और वे अपनी जमीन पॉवर प्लांट को नहीं देने, जिले के अफसरों से लेकर राजधानी तक चक्कर लगा रहे हैं। प्रदेश के मुखिया डा. रमन सिंह को भी समस्या बताई जा रही है, फिर भी अब तक किसानों के हितों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और पावर प्लांट प्रबंधनों की मनमानी बढ़ती जा रही है। यहां सवाल यही है कि मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने राज्य की जनता के समक्ष जिस तरह संवेदनशील मुख्यमंत्री के रूप में छवि बनाई है और देश-दुनिया में छाए हुए हैं। इस पहलू को लेकर किसानों की इस बड़ी समस्या पर उनकी संवेदनशीलता आखिर कहां चली गई है ? वे क्यों कृषि प्रधान जांजगीर-चांपा जिले में इतनी संख्या में पॉवर प्लांट लगाना चाहते हैं ? प्रदेश में पर्याप्त बिजली उत्पादन हो ही रहा है, ऐसे में कुटीर उद्योगों को बढ़ाना देने की कोशिश होनी चाहिए ? यदि कुछ पावर प्लांट लगाना भी पड़े तो कृषि भूमि को उजाड़ना किसी भी तरह से, समझ से परे लगता है ?

जिले में हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे हैं और किसान किसी भी कीमत पर अपने पूर्वजों की द्विफसली जमीन बेचना नहीं चाहते। किसानों का सीधे तौर पर कहना है कि ‘हमें मालिक बने रहने दीजिए, मजदूर मत बनाइए’, ‘हमारे पूर्वजों की जमीन मत छीनिए’, ’हमारी आय का मुख्य स्त्रोत कृषि भूमि है।’ जिले के किसान जब भी किसी अफसर से मिलते हैं, तो उनकी जुबान से सहसा ही ये जुमले निकल ही पड़ते हैं और साथ ही उनके मन में समाया दर्द भी सामने आ जाता है। अभी कुछ ही दिनों पहले की बात है, जिले के सिलादेही-गतवा में लगने वाले ‘मोजरबियर’ पॉवर प्लांट के विरोध में एक बार फिर सैकड़ों की संख्या में किसान चांपा के एसडीएम दफ्तर पहुंचे और यहां किसानों ने फिर वही बात दोहराई कि ‘हमें मालिक बने रहने दीजिए, मजदूर मत बनाइए’। किसानों ने अफसरों को कड़े शब्दों में कह दिया है कि वे अपने पूर्वजों की जमीन नहीं देंगे, इसके लिए वे हर तरह से आंदोलन को तैयार हैं। जेल भी जाना पड़ेगा, तो वे तैयार हैं। यहां के किसानों ने राजधानी रायपुर जाकर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को भी जमीन छिने जाने से आने वाले दिनों में खुद पर आने वाली आफत से रूबरू कराया है, मगर सरकार की ओर से किसानों के हितों के बारे में कुछ नहीं सोचा गया है। इन परिस्थितियों में किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और आने वाले समय में स्थिति बिगड़ने के आसार से इंकार नहीं किया जा सकता।


...सरकार कहां करेगी राखड़ ?
छत्तीसगढ़ सरकार ने जांजगीर-चांपा जिले में बड़े पैमाने पर पॉवर प्लांट लगाने की हरी झंडी तो दे दी है, मगर प्लांटों से निकलने वाली राखड़ का क्या करेगी ? इसकी नीति अब तक नहीं बनाई जा सकी है। ऐसे में प्रदेश की औद्योगिक नीति पर तमाम तरह के सवाल खड़ा होना स्वाभाविक भी लगता है। उद्योगमंत्री बनने के बाद पहली बार जिले में आए दयालदास बघेल से इस मुद्दे को लेकर पत्रकारों द्वारा सवाल किया गया था तो वे भी कोई ठोस जवाब नहीं दे सके थे और उन्होंने स्वीकारा था कि वास्तव में राखड़ के निदान के लिए एक व्यापक नीति बनाने की जरूरत है। एक अनुमान के मुताबिक जांजगीर-चांपा जिले में यदि 30 से ज्यादा पॉवर प्लांट स्थापित किए जाते हैं तो हर दिन लाखों टन राखड़ निकलेगी ? इस तरह सरकार के समक्ष सवाल कायम है कि आखिर सरकार राखड़ का क्या करेगी ?  इसके अलावा बिजली बनाने के पानी की जरूरत होगी, इससे नदियों का जल स्तर घट जाएगा। जिसका सीधा असर लोगों के जनजीवन पर पड़ेगा। दूसरी ओर पॉवर प्लांट से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण की परेशानी से लोगों को दो-चार तो होना ही पड़ेगा। जिले में अपराध बढ़ने का भी अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है, साथ ही सड़क हादसों में भी कई गुना वृद्धि होने की बात सोचकर, यहां के लोग अभी से ही सशंकित हैं। यहां के लोगों को लग रहा है कि कृषि के चलते पहचान बनाने वाला जिला, ऐसी स्थिति में राखड़ व प्रदूषण के लिए भविष्य में जाना जाएगा।


राजकुमार साहू
लेखक जांजगीर, छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं। पिछले दस बरसों से पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तथा स्वतंत्र लेखक, व्यंग्यकार तथा ब्लॉगर हैं।

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 098934-94714
समस्या

Views: 299

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service