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गुमनाम है
बड़ा बदनाम है
हाँ गुलाम है.
....................
रिश्ते नाते हैं
बड़ा ही रुलाते हैं.
टूट जाते हैं.
..................
वृक्ष रोते हैं
जनता हंसती है,
कैसी बस्ती है.
.......................
सुखा कंठ है,
मनवा उदास है,
कैसी प्यास है.
.......................
 तू ही जीत है
तुझसे ही प्रीत है,
तू ही मीत है.
.....................
 भ्रष्टाचार है,
ठोस जनाधार है,
 सरकार है.
.....................

यह मेरा हाइकु लिखने का छोटा सा प्रयास है कृपया सुधिजन त्रुटियों पर मार्गदर्शन दें.प्रसन्नता होगी.

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on May 6, 2012 at 9:02pm

केसरी जी,

धन्यवाद जी,
तारीफ़ का शुक्रिया,
सम्बल मिला.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 4, 2012 at 11:21am

आदरणीय रक्ताले सर

सादर प्रणाम
हाइकु पढना बड़ा रोचक होता है. अच्छा लगा...मैं भी लिखने के बारे में सोच रहा हूँ.
 एक बात आपसे ये पूछनी थी की जैसे अगर एक संग्रह में दस हाइकु हों तो
क्या वो सभी अलग-अलग विषयों पर पर हो सकते हैं? मार्गदर्शन करें.
Comment by AVINASH S BAGDE on May 4, 2012 at 10:32am

सुखा कंठ है,
मनवा उदास है,
कैसी प्यास है.....shandar haiku...badhai Ashok kumar ji.

Comment by वीनस केसरी on May 2, 2012 at 11:27pm

वाह वाह वा,
सुंदर प्रयास है,
पसंद आया .

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2012 at 10:43pm

आदरणीय प्रदीप जी
                सादर, नयी विधा है. यहीं से सीखी. प्रयास करने का मन किया और....... आपको अच्छा लगा जानकार मन गदगद हो गया. धन्यवाद.         

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2012 at 10:39pm

आदरणीय बागी जी
                सादर, आपके निरीक्षण से मन को सांत्वना मिली.आभार.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2012 at 2:00pm

aadarniya ashok ji, saadar abhivadan 

bahut hi sundar bhav liye aapke kartoos. badhai.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 2, 2012 at 10:09am

अशोक कुमार जी, कथ्य और हाइकु शिल्प पर सभी हाइकु खरे उतरते हैं, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर |

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