For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर की साहित्य संध्या माह जनवरी 2016 –एक संक्षिप्त रिपोर्ट

ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर की साहित्य संध्या माह जनवरी 2016 –एक संक्षिप्त रिपोर्ट – डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव  

 

सुहावनी शीत लहरी के बीच वर्ष 2016 के प्रथम माह जनवरी के अंतिम रविवार (31-01-2016) को हिंदी मीडिया सेंटर, गोमती नगर, लखनऊ के सभागार में ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर की ‘साहित्य-संध्या’ अपराह्न 2 बजे प्रारम्भ हुई. कवयित्री और चैप्टर की अन्यतम सदस्या संध्या सिंह के सौजन्य से आयोजित इस कार्यक्रम की पहल ओ बी ओ के संयोजक डा0 शरदिंदु मुकर्जी द्वारा एक संक्षिप्त वक्तव्य के माध्यम की गयी जिसमें उन्होंने पहली बार पधारे कतिपय अतिथि विद्वानो को चैप्टर की गतिविधि से अवगत कराया. साहित्य-संध्या की अध्यक्षता उर्दू के जाने – माने शायर फुरकत लखीमपुरी ने की और पूरे कार्यक्रम का सञ्चालन युवा कवि मनोज कुमार शुक्ल ‘मनुज’ द्वारा किया गया. आपने माता सरस्वती की भाव-भीनी वंदना से काव्य-पाठ प्रारंभ किया I 

प्रथम कवि के रूप में काव्य-पाठ का श्री गणेश लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डा0 रविकान्त ने किया. आपने सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’ को याद करते हुए बुन्देलखंडी महिलाओं की ’खूब लडैय्या’ छवि को नए सन्दर्भों में रूपायित किया I आज की बुन्देलखंडी नारी भले ही तीर-तलवार चलाना न जानती हो पर जीवन से संघर्ष करने का जो उसका साहस है वह आज भी उसकी ’खूब लडैय्या’ छवि को परिभाषित करती है I डा0 रविकांत का एक चित्र ’खूब लडैय्या’ कविता में इस प्रकार है –

 

बुन्देली नारियां होती है ‘खूब लडैय्या’

चूल्हे से लडती हैं सुबहो-शाम

भूख से लडती हैं दिन–रात

 

पुलिस विभाग में कार्यरत संतोष कुमार तिवारी  ‘कौशिल’ एक सहृदय कवि हैं I उन्होंने ‘अनपढ़ माँ ‘ शीर्षक कविता में अपने पेशे के अनुभव को बड़ी संवेदना से ढाला है, जिसकी एक बानगी निम्न प्रकार है –

 

हर मजहब तो मोहब्बत की राह दिखाता है

तुम खामखाह गीता कुरआन की बात करते हो

अगले दंगे में भी हम खान के घर थे

फिर किस इम्तेहान की बात करते हो ?

 

डा0 सुभाष ‘गुरुदेव’ ने प्रकृति की दिनचर्या में ‘रहस्यवाद’ का अनुसरण कुछ इस प्रकार किया –

 

जाने क्यों रोज चला आता है सूरज

जाने उसकी क्या होती है मजबूरी

 

ओ बी ओ के पुराने सदस्य केवल प्रसाद ‘सत्यम’ अनेक विधा में रचना करते हैं I  मनुष्य द्वारा किये जा रहे प्राकृतिक संपदा के दोहन पर उनका आक्रोश अत्यधिक मुखर है –

 

हरे भरे वन

विकास की नींव में दफ़न

जलजले भी काँप उठते

जहाँ भी पड़ते

मनुष्य के कदम

 

शहर की चर्चित कवयित्री श्रीमती संध्या सिंह जो अपने बिम्ब और प्रतीकों की नवीनता  के लिए जानी जाती हैं, उन्होंने उन स्थितियों का वर्णन किया जब डूबते को मिलने वाला तिनके का सहारा भी सहसा छूट जाता है I शब्द चित्र देखिये –

 

बीच लहर के आज हाथ से तिनके छूट गए

मावस वाली रात अचानक जुगनू रूठ गए

 

संचालक मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’ भक्ति और शृंगार के तो कवि हैं ही, वे वीर रसात्मक ओजपूर्ण रचनायें भी उतनी ही शिद्दत से करते हैं I उनकी ऐसी ही एक रचना से साहित्य-संध्या सहसा स्फूर्त हो उठी I कविता की कुछ पंक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत की जा रही हैं –

 

अहंकार को मानवता का पाठ पढ़ाने आया हूँ

गाँव-गाँव में राष्ट्र प्रेम की अलख जगाने आया हूँ

आया हूँ मैं कफ़न बाँध कर मिट्टी में मिल जाने को

अपने शोणित से पानी  में आग लगाने आया हूँ

 

डा0 शरदिंदु मुकर्जी  ने ‘मुझसे कविता मत मांगो ‘ शीर्षक से एक मार्मिक और चिंतन-प्रधान कविता प्रस्तुत की I

 

छोड़ आया हूँ शब्दों को

रूपहले पर्वत की चोटी पर

कल्पनाये समाहित हैं

चीड़ और देवदार की घनी छाया में

स्वप्न सब बिखर गए हैं

एकाकी पगडंडियों में

        मुझसे कविता मत मांगो  I

 

डा0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव ने  ‘आस’ शीर्षक के अंतर्गत कुछ बरवै छंद सुनाये, ‘अपेक्षाये’ शीर्षक पर आधारित अतुकान्त कविता का पाठ किया और अंत में ‘हो जाते हैं हाथ दूर‘ नामक गीत सुनाया I  गीत की कुछ पंक्तिया इस  प्रकार हैं -

 

पहले सन्दर्भ प्रसंग सहित इस जगती में परिभाषित कर

फिर हो जाते है हाथ दूर जीवन का दीप प्रकाशित कर 

जो कुछ जैसा पाया पावन

उसका प्रतिदान नहीं होता

जब स्वर हो जांयें छिन्न-तार

तब कलरव गान नहीं होता

भावों को मानस है मथता अंतर में ही उद्भासित कर

 

सुश्री कुंती मुकर्जी कुछ अस्वस्थ थीं, फिर भी उन्होंने आदमी जिजीविषा से कार्यक्रम में प्रतिभाग लिया I  उनके द्वारा रचित “बंजारा” कविता का पाठ डा0 शरदिंदु मुकर्जी द्वारा किया गया I कविता की पंक्तिया इस प्रकार हैं –

 

जादू-टोने का पिटारा कर बंद

रात की परछाईयों को कर विदा

आह्वान कर नए प्रकाश की

मुक्त कर रात के सम्मोहन से

सुबह के सपने

........

पतझड़ का सत्य बँधा है

नए पल्लव के संग

........

बंजारा !

छोड़ मौत की बीन

बजने दे जीवन का इकतारा.  

 

एस सी  ब्रह्मचारी ने अपनी कविता में ‘इंसान’ की तलाश करते हुए कहा -

 

मैं पागल मेरा मनवा पागल ढूँढू इंसा गली गली

मंदिर द्वारे सुबह गुज़री

मस्जिद द्वारे शाम ढली

मिला न इंसा मुझको कोई

जाने कैसी हवा चली

आयेगी ऐसी बेला जब होगी जग से चला चली

मैं पागल मेरा मनवा पागल ढूँढू इंसा गली गली

 

अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में जनाब फुरकत लखीमपुरी ने ओ.बी.ओ. लखनऊ चैप्टर को अच्छे माहौल में नियमित रूप से प्रति माह गोष्ठी करने के लिए साधुवाद दिया. ग़ज़ल की बात करते हुए उन्होंने बताया कि ग़ज़ल परंपरा में मतला का मिसराने अव्वल में एक दावा पेश किया जाता है और मिसरा सानी में उसकी दलील दी जाती है I मिसाल के तौर पर इस कथन को उन्होंने अपनी प्रस्तुति में इस प्रकार पेश किया -

 

मेहरबां हो गया फिर खुदा  अब मेरे काम बन जायेंगे

आज फिर माँ ने की है दुआ अब मेरे काम बन जायेंगे  

 

‘साहित्य संध्या’ के समापन की घोषणा करने से पूर्व संयोजक डा0 शरदिंदु मुकर्जी ने गोष्ठी में उपस्थित सभी साहित्य अनुरागियों को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि आगामी कार्यक्रमों में भी इसी प्रकार सभी महानुभावों से सहयोग प्राप्त होता रहेगा I सीमित संख्यक सदस्यों की उपस्थिति के बावजूद एक बलिष्ठ आयोजन की ऊर्जा से सभी पुलकित हो उठे और नए दिन के नए सूरज की तलाश में जाने का नीरव संकल्प लेकर हिंदी मीडिया सेंटर की चहारदीवारी के बाहर शामे अवध की गोधूली में तैरने निकल पड़े.

Views: 404

Reply to This

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
4 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
18 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
41 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
45 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service