• दोहा दशम. . . . रोटी

    दोहा दशम . . . . . . रोटीकैसे- कैसे रोटियाँ, दिखलाती हैं  रंग ।रोटी से बढ़कर नहीं,इस जीवन में जंग ।।रोटी के संघर्ष में, जीवन जाता बीत ।अर्थ चक्र में गूँजता , रोटी का संगीत ।।रोटी का संसार में, कोई नहीं विकल्प ।बिन रोटी के बीतता ,हर पल जैसे कल्प ।।रोटी से बढ़कर नहीं, दुनिया में कुछ यार ।इसके  आगे…

    By Sushil Sarna

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  • सदस्य कार्यकारिणी

    ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

    याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस रोक दे वो शोर करना।पंक्तियों के बीच पढ़ना आ गया हैभूल बैठा हूं मैं अब इग्नोर करना।ये नजर अब आपसे हटती नहीं हैबंद करिए तो नयन चितचोर करना।याद बचपन की न जाती है जेहन सेअब अखरता खुद को ही मेच्योर…

    By मिथिलेश वामनकर

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  • ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

    २१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात वाजिबऔर हमारी लंतरानीजाने किसकी बद्दुआ हैवक़्त-ए-गर्दिश जाँ-सितानीदर्द-ओ-ग़म रास आ रहे हैंबुझ रही है ज़िंदगानीकौन जाने कब कहाँ सेआये मर्ग-ए-ना-गहानीले के फागुन आ गया फिरफ़स्ल-ए-गुल की छेड़खानीकैसे मैं…

    By Aazi Tamaam

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  • "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"

    "ओबीओ परिवार के सभी सदस्यों को ओबीओ की 14वीं सालगिरह मुबारक हो"ग़ज़ल212  212  212इल्म की रौशनी ओबीओरूह की ताज़गी ओबीओ  (1)तुझ से मंसूब करता हूँ मैंअपनी ये शाइरी ओबीओ  (2)तेरे बिन है अधूरी बहुतये मेरी ज़िंदगी ओबीओ  (3)मेरा दिल मेरी चाहत है तूजानते हैं सभी ओबीओ  (4)चाहने वाले तेरे मिलेहर नगर हर गली ओबीओ …

    By Samar kabeer

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  • कैसे खैर मनाएँ

    तारकोल से लगा चिपकनेचप्पल का तल्ला बिगड़े हैं सुर मौसम के अबकहे स्वेद की गंगाफागुन में घर बाहर तड़पेहर कोई सरनंगादोपहरी में जेठ न तपताऐसे सौर तपाएअपनी पीड़ा किसे बताएनया-नया कल्ला पेड़ों को सिरहाना देतीखुद उसकी ही छायाश्वानो जैसी उस पर पसरे आकर मानव कायाजो पेड़ों को काटे ठलुआबढ़कर धूप उगाएअपनी गलती से वह…

    By Ashok Kumar Raktale

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  • दोहा पंचक. . . . .प्रेम

    दोहा पंचक. . . . प्रेमअधरों पर विचरित करे, प्रथम प्रणय आनन्द । चिर जीवित अभिसार का, रहे मिलन मकरंद ।।खूब हुआ अभिसार में, देह- देह का द्वन्द्व ।जाने कितने प्रेम के, लिख डाले फिर छन्द ।।मदन भाव झंकृत हुए, बढ़े प्रणय के वेग ।अधरों के बैराग को, मिला अधर का नेग ।।धीरे-धीरे रैन का , बढ़ने लगा प्रभाव ।मौन…

    By Sushil Sarna

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  • यह धर्म युद्ध है

    रण भूमी में अस्त्र को त्यागे अर्जुन निःस्तब्ध सा खडा हुआ बेसुध सा निःसहाय सा केशव के चरणों मे पडा हुआ कहता था ना लड पायेगा, वार एक ना कर पायेगा शत्रु का है भेष भले पर वो अपना है जो अडा हुआ कैसे मैं उनपर प्रहार करूँ, जिनका मैं इतना सम्मान करूँ वे अनुज है मेरे, अग्रज भी हैं, उनपर कैसे मैं आघात…

    By AMAN SINHA

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  • कुंडलिया .... गौरैया

    कुंडलिया - गौरैयागौरैया  को   देखने, हम  आ  बैठे  द्वार ।गौरैया के  झुंड  का, सुंदर   लगे  संसार ।सुंदर लगे संसार , धरा पर  दाना  खाती ।लेकर तिनके साथ, घोंसला खूब बनाती ।कह ' सरना ' कविराय, धूप में ढूँढे छैया ।उसको  उड़ते  देख, कहें  री आ  गौरैया ।सुशील सरना / 21-3-24मौलिक एवं अप्रकाशित 

    By Sushil Sarna

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  • बनो सब मीत होली में -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

    निभाकर  रीत होली मेंदिलों को जीत होली में।१।*भरें  जीवन  उमंगों सेचलो गा गीत होली में।२।*सभी सुख दुश्मनी छीनेबनो सब  मीत  होली में।३।*बहुत विरही तड़पता हैसफल हो प्रीत होली में।४।*किसी को याद मत आयेगयी  जो  बीत  होली  में।५।*लगे अब रोग कहते हैंदुखों को पीत होली में।६।*गिरा दो  रंग  बरसाकरखड़ी हर भीत…

    By लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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  • काश कहीं ऐसा हो जाता

    काश कहीं ऐसा हो जाता, मैं जगता तू सो जाता मेरी हंसी तुझे मिल जाती तेरे बदले मैं रो लेता काश कहीं ऐसा हो जाता तू चलता मैं थक जाता पैर तेरे कभी ना रुकते तू अपनी मंज़िल को पाता काश कहीं ऐसा हो जाता दोनों का मन एक जैसा होता सोच जो मेरे मन में आती वही खयाल तेरा भी होता काश कहीं ऐसा हो जाता तेरे तन में…

    By AMAN SINHA

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