गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा

अर्थ प्रेम का है इस जग में
आँसू और जुदाई
आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
कैसी रीत चलाई

सूर्य निकलता नित्य पूर्व से
पश्चिम में ढल जाता
कब से डूबा सूर्य हृदय का
अब भी नजर न आता

धीरे धीरे बढ़ता जाए
अंतस में अँधियारा
दिशाहीन पथहीन जगत में
भटक रहा बंजारा

अभी शेष है कितनी पीड़ा
बोलो कुछ पुरवाई
आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
कैसी रीत चलाई

ओ दक्षिण को जाते पंछी
उनसे इतना कहना
तुम बिन साँसें छीज रहीं यूँ
नींद बिना ज्यूँ रैना

अपलक देखूँ राह तुम्हारी
नैन हमारे हारे
कब आओगे बाट निहारूँ
निस दिन प्राण अधारे

आती जाती ऋतु से पूछूँ
देकर राम दुहाई
आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
कैसी रीत चलाई

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Load Previous Comments
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

    आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ। इसमें थोड़ा बहुत बदलाव कर इसे और सुंदर बनाया जा सकता है। जैसे -

    आह बुरा हो कान्हा उसका जिसने 
     रीत चलाई ....

    शेष शुभ शुभ...

  • बृजेश कुमार 'ब्रज'

    आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। 

    मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार में कुछ भी पूर्ण और अंतिम सत्य नहीं है। इसलिए आपकी बात से इंकार नहीं कर रहा लेकिन उससे सहमत भी नहीं हो पा रहा। 
    समाज में देखने से पता चलता है कि हम छल,कपट,पाखंड से भरे कृतघ्न मनुष्यों के दौर में हैं। 
    इसलिए किसी का बुरा चाहना या सोचना अतिशयोक्ति होगा इससे सहमति मेरे लिए मुश्किल है। रही बात साहित्य की तो मैं इतना जानकार नहीं हूँ फिर भी जीवन के अनुभवों से कहना चाहता हूँ या एक जिज्ञासा है कि क्या सिर्फ जो अच्छा है समाज में या काल्पनिक अच्छा उसे ही लिखना उचित है?
    क्या साहित्य का एकपक्षीय होना ठीक है ?
    मैं कहना चाहता हूँ कि गीत को एक विरह में तड़पते प्रेमी की दृष्टि से देखें जिसके लिए कुछ भी कहना,सोचना अतिश्योक्ति नहीं हो सकता। 
    सादर....
  • बृजेश कुमार 'ब्रज'

    आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो उसको दोष देगा जिसके कारण कष्ट में है या उस कष्ट की रीत जिसने चलायी है। अगर हम विश्वास में पत्थरों को पूज सकते हैं तो उसी विश्वास में हम उन्हें कोस भी सकते हैं। ऐसा मेरा मानना है। देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।