भोजपुरी साहित्य

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दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला 

पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला 

नजरिया मिलावल भइल आज माहुर 

खटाई भइल आज गौने क पाहुर 

बन्हल गाँठ राजा छुड़ावल ना जाला 

दियनवा जरा के बुझावल ना जाना 

बिसरबा तू केतनो कबों ना भुलाई 

पिया प्रीत ह ई कबों ना ओराई 

जे पथरे क रेखा का कबहूँ मेटाला? 

दियनवा जरा के बुझावल ना जाना 

जे तोहरे विरह में अभागिन भइल बा 

ई रिश्तन क बगिया जे बाझिन भइल बा 

(बिना प्रेम-पानी के बाझिन भइल बा) 

(सनेहिया के पानी से उजड़ल फुलाला) 

सनेहिया के सिंचल से उजड़ल फुलाला 

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

आशीष यादव