चित्र से काव्य तक

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'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ उनचासवाँ आयोजन है.   

 

इस बार के आयोजन के लिए दो छंद लिये गये हैं - दोहा छंद या / और कुण्डलिया छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

23 सितंबर’ 23 दिन शनिवार से 24 सितंबर’ 23 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

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आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियों में रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

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    लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

    शिक्षा जन की व्यर्थ सी, मिले नहीं जब काम।
    विज्ञापित  करतीं   भले, सरकारें  निज  नाम।।
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    पूँजीवादी  दौर  अब, मिश्रित  गया व्यतीत।
    जन कल्याणी  शेष  ना, सरकारों  की रीत।।
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    रोजगार की राह में, एम. एन. सी का राज।
    कब चमकेगा देश यह, पहन स्वदेशी ताज।।
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    रोजी रोटी  की भले, सब  को ही दरकार।
    सरकारों ने मान ली, किन्तु यहाँ अब हार।।
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    काम सृजन का देश में, दिखता नहीं प्रयास।
    इसी  बात  से  हो  रहा, युवा  बहुत  निराश।।
    *

    अवसर  देने  को  लगा,मेला  उस  के  द्वार।

    कुछ व्यवसायी कह रहे, मत मानो जन हार।।
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    मौलिक/अप्रकाशित

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      अजय गुप्ता 'अजेय

      उम्मीदों को पाल कर, पहुँचे थे कॉलेज,

      सोचा था होगी यहाँ, वंडरफुल नॉलेज।

      वंडरफ़ुल नॉलेज, मगर क्या हुआ झमेला,

      मिल जाये इक जॉब, लगा इस कारण मेला।

      दे न सके ये सोच, उद्यमी बन सकते हो,

      किया मूल से नष्ट, हमारी उम्मीदों को

      किया मूल से नष्ट तो, आया निम्न प्रभाव,

      मिट गई उद्यमशीलता, कौशल बना अभाव,

      कौशल बना अभाव, नौकरी बिकने आती,

      रख कर फ़ैंसी नाम, लिए बच्चों को जाती 

      भरवाते हैं बॉण्ड, जॉब कह कर बाँध लिया

      कुछ करने आई-वॉश, जिन्होंने बस नाम किया

      #मौलिक व अप्रकाशित

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        Chetan Prakash

        कुण्डलिया छंदः

        आई घड़ी.. चुनाव की, जनता आती याद ।
        कमियाँ जो शासन रहीं, पूरी हों फरियाद ।।
        पूरी हों... फरियाद, खेलते रहो... युवाओ ।
        बिना छाछ औ दूध, रोटी रहित घी खाओ ।।
        खूब करो तुम होड़, पानी पियो.... जा राई ।
        भूख बढ़ेगी..... पेट., घड़ी भारत की आई ।।

        चाहत रोजगार अगर, करो नौकरी .....पार्थ ।
        लगा रहे... मेले हमीं, समझो तुम अभिधार्थ।।
        समझो तुम अभिधार्थ, खुले मन जाओ खेलो ।
        एशियाड हैं...... चीन, खूब प्रतिद्वन्दी पेलो ।।
        कह चेतन कविराय, मत करो मन को आहत ।
        नाम लिखाओ जल्द, युवा हो...... पूरी चाहत ।।

        मौलिक व अप्रकाशित

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