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आदरणीय काव्य-रसिको !
सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियालिसवाँ आयोजन है.
इस बार के आयोजन के लिए दो छंद लिये गये हैं - दोहा छंद या / और सार छंद
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
17 जून 2023 दिन शनिवार से 18 जून 2023 दिन रविवार तक
हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
17 जून 2023 दिन शनिवार से 18 जून 2023 दिन रविवार तक ही रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए मंच खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव
सार छंद [ छन्न पकैया ]
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छन्न पकैया छन्न पकैया, आम फलों का राजा।
है मजा खास स्फूर्ति जगाये, रखता सबको ताजा॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, वो दिन भूल न पाये।
मजा तोड़कर खाने में है, माली जब दौड़ाये॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, नाम पूछकर लाओ।
आम सभी स्वादिष्ट लगेगा, जैसा चाहो खाओ॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, सबकी कीमत पाते।
आम गुठलियाँ लकड़ी पत्ते, काम समय पर आते॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, हर घर कातिल पाया।
कत्ले आम रोज होता है, कैसा कलियुग आया॥
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मौलिक अप्रकाशित
Jun 18, 2023
Ashok Kumar Raktale
दोहे
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गुच्छ-गुच्छ में लद गये, मीठे आम अनूप।
निखर गया है ग्रीष्म में, अमराई का रूप।।
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मन का हठ कब बूझता, कम या ज्यादा दाम।
जब हों सम्मुख रस भरे, मीठे-मीठे आम।।
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नीलम चौसा दशहरी, हापुस औ बादाम।
मिलते हिन्दुस्तान में, कोटि-कोटि के आम।।
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कोशिश कृषि विज्ञान की, पाने लगी मुकाम।
आते हैं प्रति वर्ष अब, नयी जाति के आम।।
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लाता सिलवट भाल पर, उन आमों का भाव।
परदेसी खाते जिन्हें, लेकर हर दिन चाव।।
मौलिक/अप्रकाशित.
Jun 18, 2023
pratibha pande
Jun 18, 2023