भोजपुरी साहित्य

Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।


सदस्य टीम प्रबंधन

पाँच गो फरकल दोहा // --सौरभ

लबरहिया के बात का, बकरी वाली फोंsह
सगर चरित्तर नासि के, छछनो कढ़ली घोंsह 

 

कुकुर जमाती राति-दिन, भूँक बतासे भूँक
भइल असामी मोट, भा, भालू मरलस फूँक ! 

 

चढ़ल कपारे आजु जे, काल्हु उहे मुकुराह
चsढ़ल सूरुज देखि लs, आसिन में निखुराह 

 

दिन-दुपहर के नरमई, राति कउड़ के बाँव
गमे-गमे लागल चले, गरम साँस अब दाँव 

 

जामल धूआँ खेत में, दूर चलल बंदूक !
जीउ जाँत चुप रहु परल, भलहीं मनवाँ हूक

****

सौरभ

 

(मौलिक आ अप्रकाशित)