लघुकथा की कक्षा

समूह का उद्देश्य : लघुकथा विधा और उसकी बारीकियों पर चर्चा.

समूह प्रबंधक : श्री योगराज प्रभाकर

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  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    आपका सुझाव अति उत्तम है आ० कांता रॉय जी। लेकिन इस काम के लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा। मेरे ख्याल से इस काम को १ जनवरी २०२० से शुरू किया जा सकता है।  क्योंकि मेरी रिटायरमेंट ३१-१२-२०१९ को है। उसके बाद मेरे पास काफी समय भी होगा। 

  • kanta roy

    हा हा हा हा ..... सर जी , दंडवत .... साष्टांग प्रणाम आपको :))))
  • Nita Kasar

    निर्माणाधीन कथा कक्षा में पोस्ट कर सकते है आदरणीय योगराज प्रभाकर जी
  • VIRENDER VEER MEHTA

    मै इस मंच के माध्यम से गुणीजनो के समक्ष अपने मन की एक द्वुविधा रखना चाहता हूँ, आशा है कुछ समाधान अवश्य मिलेगा।
    जब हम किसी कथा का अंत नकारत्मक पंच के साथ करते है तो एक साधारण सा पंच भी कथा को प्रभावी बना देता है लेकिन सकारत्मक अंत करते समय पंच लाईन अक्सर एक उपदेश सा लगने लगती है और कथा निष्प्रभावी नजर आने लगती है। इसे कैसे प्रभावी मगर उपदेश कथा बनने से बचाया जाये।

  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    जी नहीं आ० नीता कसार जी, अभी लघुकथा रिपेयर वर्कशॉप की कोई योजना नही है। 


  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    भाई वीर मेहता जी, वैसे तो लघुकथा का काम  उद्देश्य उपदेश देना नहीं सन्देश देना है। फिर भी उपदेश में यदि कोई सार्थक सन्देश हो तो क्या हर्ज़ है ? हाँ, यदि किसी रचनाकार को ऐसा लगे कि लघुकथा किसी बोधकथा का रूप ले रही है, या फिर पंच लाईन कोरा उपदेश बन रही है तो या तो उसपर दोबारा काम किया जाये अथवा रचना को स्वयं ही निरस्त कर दिया जाये। 

  • VIRENDER VEER MEHTA

    आदरणीय योगराज सरजी द्वुविधा के निवारण के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद। आशा है आपके उत्तर से मेरा ही नही और भी जिज्ञासुओ की जिज्ञासा शांत हुयी होगी।
  • kanta roy

    आदरणीय वीर मेहता जी यह प्रश्न आपका बेहद ही सार्थक हुआ है. ऐसा अक्सर ही हो जाता है कि सकारात्मक अंत कथा को देते समय वो बोध कथा की ओर संभावित रूख पकड लेता है. सर जी के जबाब ने फिर से एक संशय ग्रंथि को खोल कर लेखन में एक नई सोच नई दृष्टि दी है. हमें उम्मीद है कि हम अब और सार्थक रचना की तरफ एक कदम और आगे बढेंगे. नमन श्री
  • Harash Mahajan

    आदरणीय योगराज प्रभाकर जी नमस्कार | आपका बहुत आभार मुझे यहाँ लघु कथा क्लास में दाखिला देने के लिए | इस से ज़रूर हमें लाभ मिलेगा | धन्यवाद् !!

  • asha jugran

    आद०योगराज प्रभाकर सर ,लघु-कथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए आपका तहेदिल धन्यवाद,लेखन अनाड़ी हूँ ,सीखने की ललक में कटोरा हाथ भिखारी हूँ,श्री-सम्रद्धी, गुरु के द्वार हूँ .....खाली न रहूंगी,इतना विश्वास है.


  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    आ० आशा जुगरान जी एवं हर्ष महाजन जी, आपका हार्दिक स्वागत है।

  • asha jugran

    आद०योगराज प्रभाकर सर ,नम्र निवेदन सहित पूछना चाहती हूँ कि अभी उपमा शर्मा जी की पोस्टेड लघु कथा "आजादी "पढ़ी.बहुत सुंदर व्यंग्य है ....शिल्प की द्रष्टि से क्या यह लघु कथा पूर्ण है ?आपके उत्तर से मेरे अंदर उठते कई प्रश्न शांत हो जायेंगे .सादर 

  • Mamta

    आदरणीय योगराज जी सादर प्रणाम।
    बहुत -बहुत धन्यवाद कि आपने अपनी कक्षा में दाखिला दिया। मुझे लगता है मुझ जैसे विद्यार्थी को आपकी कक्षा की बहुत अधिक आवश्यकता है। और सर अपने अमूल्य समय में से समय निकाल हमें मार्गदर्शन देने हेतु बडा सा धन्यवाद स्वीकार करें।
    सादर ममता
  • Mamta

    आदरणीय योगराज जी नमस्कार! सर जैसा कि मिथिलेश जी ने इस लघुकथा में एक कसाव की आवश्यकता महसूस की और उनके द्वारा एक उदाहरण देने के पश्चात् मुझे भी इसमें कई स्थान पर बदलाव की जरूरत महसूस हुई है मेरी आपसे एक प्रार्थना है कि अगर आप भी इसमें किसी और प्रकार का परिवर्तन की गुंजाइश समझते हैं तो मैं आपके सुझाव के बाद ही संशोधित रूप आपको दिखाऊँगी।
    सादर ममता

  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    आ० आशा जुगरान जी, आप किस लघुकथा की बात कर रही हैं ? यदि वह ओबीओ पर है तो उसका लिंक देने की कृपा करें.


  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    आ० ममता जी, यह टिप्पणी किस लघुकथा के सम्बन्ध में है ? उसका लिंक यहाँ दीजिये, वैसे बेहतर यही होगा कि उस रचना के सम्बन्ध में कोई भी बात उसी पोस्ट पर की जाये.

  • Mamta

    जी सर! मैं इसी हफ्ते लिखी व प्रेषित लघुकथा "मोमबत्तियाँ" के विषय पर आपसे मार्ग दर्शन चाहती हूँ! और मेरा नाम ममता शर्मा है।
    सादर ममता
  • asha jugran

    आद०योगराज प्रभाकर सर,उपमा शर्मा जी की यह लघु कथा नया लेखन-नए दस्तख़त पर देय विषय "आजादी"पर लिखी गई है


  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    यहाँ केवल ओबीओ में पोस्ट रचनाओं की बात होगी आ० आशा जुगरान जी 


  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    आ० ममता शर्मा जी, रचनाओं के बारे में चर्चा रचना की जगह ही होती हैं, यहाँ केवल लघुकथा विधा तकनीक के बारे में प्रश्न करें I   

  • Mamta

    जी सर !मुझे कईसारे नियम सीखने की आवश्यकता है। इसके साथ ही मेरे द्वारा की गई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
    सादर ममता

  • सदस्य कार्यकारिणी

    मिथिलेश वामनकर

    आदरणीय योगराज सर, 

    आदरणीया ममता जी अपनी लघुकथा मोमबत्तियाँ (लिंक) के विषय में चर्चा कर रहीं हैं. मैंने एक पाठक की हैसियत से अपने विचार रखे थे उसी रचना पर आपका मार्गदर्शन निवेदित है ताकि सभी को उसका लाभ मिल सके. सादर 

  • kanta roy

    सर जी , एक प्रश्न बार - बार कोशिश के बावजूद स्पष्ट नहीं हो पा रहें है कि कैसे हम लघुकथा का किस्सागोई होने से बचाव करें ?
    बीमारी पकड़ में आने से ही इलाज संभव है तो इसकी पहचान कैसे हो कि किस्सागोई और बतकही का ?
    इसके लिए आपसे मार्गदर्शन अपेक्षित है । सादर निवेदन

  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    वह कथा जिस में पूरा विवरण लेखक खुद ब्यान करे, उसको किस्सा गोई कहा जाता है आ० कांता रॉय जीI

  • Mamta

    कान्ता जी सही उत्तर तो गुरु जन ही देंगे मगर मेरी समझ से जब हम लघुकथा लिखें तो उसे संवाद दर संवाद खींचे न वरन जो कहना चाह रहे हैं सीथे-सीधे कहें इससे लेखक जो कहना चाहते हैं वह सीधे ही पाठक तक पहुँच पाएगा।
    अत्यधिक संवाद,लच्छेदार भाषा की भूलभुलैया पाठक को भरमा देगी और वह लघुकथा मात्र किस्सा बन जाएगी। आदरणीय मिथिलेश जी के उदाहरण से मुझे एस ही लगता है ।उनका पुनः धन्यवाद!
    सादर ममता
  • kanta roy

    सादर नमन सर जी , सीखने के क्रम में एक और भ्रमजाल का निवारण हुआ ।
  • Mamta

    जी सर ! हमें अब सही ज्ञात हुआ कि किस्सागोई क्या है। धन्यवाद!
    सादर ममता
  • kanta roy

    सर जी , अभी तक हम ये जानकर चल रहे थे कि किस्सागोई और बतकही एक ही चीज़ होती है मतलब कि बातों को बेवजह ही खींचते जाना अर्थात बतकूचन ।

    अब जाकर मालूम हुआ कि बतकही (बतकूचन ) अर्थात बातों का बिना मतलब खींचना किस्सागोई नहीं होता है ।

    अगर किस्सागोई का अर्थ किस्सा सुनाने से है तो मै जानना चाहूँगी कि किसी को किस्सा सुनाना गलत क्यों हुआ लघुकथा के संदर्भ में ?

    क्या लघुकथा को किसी और के मुख से प्रस्तुत करना गलत है ?

    विवरणात्मक लघुकथा तो संवादहीन होता है , तो हम कैसे किस्सागोई से बचें विवरणात्मक लघुकथा लिखते समय ?
    सादर निवेदन !

  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    कोई भी सवाल उठाने से पहले उसपर होमवर्क किया करें आ० कान्ता रॉय जी I वर्ना इस प्रकार के प्रश्न भी बतकूचन की श्रेणी मैं आ सकते हैं I

  • Archana Tripathi

    आ. योगराज प्रभाकर जी ,लघुकथा लिखते समय नियम ,कानून और प्रस्थापित चलन का ध्यान रखना कितना आवश्यक हैं ?
  • kanta roy

     पूज्यनीय सर जी , आप हमें शिल्प के विषय में कुछ विवरण उपलब्ध करवाइये की कथा में प्रयुक्त  पात्र जो की तीन या चार हो तो किस प्रकार या किस श्रेणी का पात्र विन्यास हो उनका  ? हम यहां अतिरेक से कैसे बचे या सपाट लेखनी का स्तर कैसे तय करें ? नमन श्री। 

  • Sheikh Shahzad Usmani

    आदरणीय गुरुजी, मेरी कुछ लघु कथाएँ केवल संवादों पर आधारित थीं, जिनमें पंचलाइन के साथ एक अहम संदेश था, फेसबुक के एक ग्रुप अनुसार वे मात्र संवाद या बातचीत कही गयीं ,उन्होंने उन्हें स्पष्ट शब्दों में लघु-कथा मानने से इंकार कर दिया। आपका लेख पढ़कर मुझे ऐसा लगता है कि वे प्रकार नम्बर-दो की लघु कथाएँ थीं। कृपया तीनों तरह की लघु कथाओं को विस्तार से उदाहरण सहित बताईयेगा। नवांकुर तीनों तरह की लघु कथाओं में कहाँ और कैसे ग़लती करते हैं, उनके भी उदाहरण जानना चाहता हूँ। यह भी जानना चाहता हूँ कि ओबीओ क्या "सीखने-सिखाने का" मंच है या केवल सुधी साहित्यकारों के लिये मुख्य रूप से ?
    किसी भी लघु-कथा गोष्ठी और उसका विषय घोषित करते समय कृपया नये रचनाकार के लिए विषय की व्याख्या कथा की संभावित रेंज सहित समझा दिया करें तो हमें कथानक व कथ्य तय करने में सुविधा होगी। जैसे अभी "शतरंज" विषय सरल होते हुए भी हमें कठिन लग रहा है। हालाँकि आदरणीया कान्ता राय जी ने काफी हद तक विषय हमें समझा दिया है और उनके असीम प्रोत्साहन से मैंने एक कथा रफ तौर पर तैयार भी कर ली है। सादर
  • chouthmal jain

    माननीय सर , सादर नमन ,
    लघुकथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। इस कक्षा के लिए मैं नर्सरी का छात्र हूँ। वैसे कहानियाँ लिखता हूँ , दो उपन्यास भी लिखे हैं। कथानक को विस्तार देने की आदत सी पड़ी हुई है। इसलिए लघुकथा लिखना असम्भव सा प्रतीत होता है। इस कक्षा में आने का सुअवसर मिला है तो प्रयास अवश्य करूँगा। कितना सफल होता हूँ कह नहीं सकता।

  • indravidyavachaspatitiwari

    आदरणीय गुरूजी मैंने दो बार ट्राई किया लेकिन असफल होगया। इसके पूर्व भी प्रयासरत था परंतु हिम्मत बंधी कि वह सामाजिक सरोकार के लायक थी। इस बार जब लिखा तो ऐसा हुआ कि उसके बारे में कोई जानकारी न होने से निराशा ही हाथ लगी। अतः श्रीमान जी यदि अस्वीकृति के बारे में यदि इनबाक्स में कृपा करें तो महान दया होती। इसी विनय के साथ इन्द्र वि़द्या वाचस्पति तिवारी।

  • सर्वेश कुमार मिश्र

    समूह में जोड़ने के लिए शुक्रिया!
    बहुत दिनों से लघुकथा की ओर मेरा रुझान बढ़ा है। मगर असमंजस में हूँ कि शुरुआत कैसे करूँ? इस समूह को पढ़कर बहुद हद तक हौसला बढ़ा है मगर बात वही शुरुआत पर आकर अटक जाती है। प्रारूप, शब्द सीमा? आदि...


  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    भाई सर्वेश कुमार मिश्र जी, इसी मंच पर मेरा एक आलेख "लघुकथा विधा: तेवर और कलेवर" मौजूद हैI उसे अवश्य पढ़ें, शायद आपको कोई मदद मिल जाएI

  • सर्वेश कुमार मिश्र

    जी, शुक्रिया मार्गदर्शन के लिए!

  • रौशन जसवाल विक्षिप्‍त

    आभार सदस्‍यता देने के लिए 


  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    आपका हार्दिक स्वागत है आ० रौशन जसवाल विक्षिप्त जी.

  • KALPANA BHATT ('रौनक़')

    आदरणीय सर । जब हम बच्चों को लेकर लघुकथा लिखते है , तब यह तो सही है कि लगना चाहिए की उनके द्वारा कही गयी बात हो । कोई बड़ी बात उनसे नहीं कहेलवानी चाहिए । यहाँ हम बच्चों की बात करे तो उनकी उम्र का आंकलन कैसे करना होता है । बच्चा तो 18 साल तक होता है। सादर ।

  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    मैं मानता हूँ लघुकथा में पात्रों की भाषा उनकी आयु या स्तर के मुताबिक़ ही होनी चाहिए, उनमे बच्चे भी शामिल हैंI अत: बच्चों के मुख से वहीँ कहलवाया जाए जो नकली न लगेI
      
    //बच्चा तो 18 साल तक होता है।//

    मैंने तो ऐसे लोग भी देखें हैं जो अधेड़ होकर भी "बच्चे" ही रहते हैं आ० कल्पना भट्ट जीI   

  • KALPANA BHATT ('रौनक़')

    धन्यवाद आदरणीय सर ।
  • KALPANA BHATT ('रौनक़')

    आदरणीय सर लघुकथा को हम विषयधारित , चित्राधारित ,या अपने ही किसी विषय को लेकर लिखते हैं न ? जब चित्र को देखकर उसपर कथा लिखनी होती है तो सामने वही चित्र घूमता है । पर अगर चित्र हटा दें और सिर्फ लघुकथा हमारे सामने हो तो लगने लगता है जैसे कहीं कुछ अधूरापन है । चित्रधारित वाली कथा को गर अलग से पढ़े तो उसमें कहीं कुछ कमी खलने लगती है । चित्र पर लिखने वाली कथा को किस तरह से लिखनी होती है ? क्या फर्क होता है इन विभिन्न कथा शैली में ? सादर ।
  • surender insan

    समूह में जोड़ने के लिए बहुत बहुत दिली शुक्रिया जी।सादर नमन जी।

  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    आपका हार्दिक स्वागत है भाई सुरेन्द्र इन्सान जी.

  • Mamta

    सुधि जनो को नमन ! कई दिनों बाद लघुकथा की कक्षा में उपस्थित हुई हूँ, अगर अपनी प्रविष्टि भेजनी हो तो उसका क्या तरीक़ा है ये भूल गई हूँ कृपयामार्गदर्शन कीजिए ।
    सादर ममता
  • rashmi tarika

    समूह में जोड़ने के लिए हार्दिक आभार
  • मेघा राठी

    हार्दिक आभार आदरणीय ।
  • Sheikh Shahzad Usmani

    आदाब। जानना चाहता हूं कि लघुकथा लेखन की पत्रात्मक शैली व डायरी शैली क्या वर्तमान में चलन से बाहर या अमान्य या नापसंद हैं? यदि नहीं, तो उन शैलियों में कोई बदलाव किया गया है? यदि यह भी नहीं, तो कृपया उन शैलियों में न्यूनतम और अधिकतम शब्द--संख्या सीमा बताइयेगा। मैं लघुकथा गोष्ठी के विषय पर केंद्रित रचना उन शैलियों में अवलोकनार्थ प्रस्तुत करना चाहता हूं। सादर।

  • Deepalee Thakur

    कृपया डायरी शैली के बारे में बताए सर