आंचलिक साहित्य

यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |

Load Previous Comments
  • Omprakash Kshatriya

    लघुबाता – फिकर (मालवी) “ अरे ओ किसनवा ! लठ ले के कठे जा रियो हे ? मच्छी मारवा की ईच्छा हे कई ?” “ नी रे , माधवा ! गरमी मा पाच कौस पाणी लेवा नी जानो पड़े उको बंदोबस्त करी रियो हु.” “ ई लाठी थी ?” किसनवा से मोटी व वजनी लाठी देख कर माधवा की हंसी छुट गइ . “ हंस की रियो रे माधवा . बापू की लाठी से डरी ने मूँ सकुल जानो रुक सकू तो ये नदि का नी रुक सके.” ------------------------------ लघुकथा – चिंता “ अरे किसन ! लाठी ले कर किधर जा रहा है ? मछली खाने की इच्छा है ?” “ नहीं रे माधव ! गर्मी में पांच मील पानी लेने जाना पड़ता है. उसी का इंतजाम करना चाहता हूँ.” “ इस लाठी से ?” किसन से लम्बी और भारी लाठी देख कर माधव की हंसी छुट गई . “ हंस क्यों रहा है माधव. पिताजी की लाठी से डर कर मैं स्कूल जाना छोड़ सकता हूँ तो नदी बहना क्यों नहीं छोड़ सकती है ?” ----------- मौलिक और अप्रकाशित

  • सुरेश कुमार 'कल्याण'

    दिल आपणे नै डाट भाई रै ।
    क्यूं ठारया सिर पै खाटभाई रै ।

    अस्त्र शस्त्र बतेरे देखे।
    देखी सबकी काट भाई रै ।

    भाइयां मैं तो रल कै रै ले।
    क्यूं बण रया तों लाट भाई रै ।

    बाहर कितनिए मौज मिल्ज्या।
    घर बरगे नी ठाठ भाई रै ।

    बुराई जे तनै आंदी दिखै।
    भेड़ ले आपने पाट भाई रै ।

    सब की सोच एक सी कोनी।
    बातां नै ना चाट भाई रै।

    कोई चुस्सै बलदी चिलम नै।
    कोई पाणी का माट भाई रै।

    'कल्याण' मन की गांठ खोल दे।
    हाँ भर कै ना नाट भाई रै।।

    मौलिक एवम् अप्रकाशित
    सुरेश कुमार 'कल्याण'

  • Jaihind Raipuri

    गीत (छत्तीसगढ़ी )

    जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़

    माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़

    जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीस गढ़

    हिन्द के तैं हिरदै हव धान के कटोरा

    बिस्नुभोग, जवाँफूल ले भर भर बोरा

    तस्मई खुरमी, भजिया, लाड़ू जलेबी

    हरेली, मड़ई, कमरछठ, तीजा अउ पोरा

    बुड़ती राजनांदगाव ले उत्ती रैगढ़

    जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़

    सुआ, राउत-नाचा, भरथरी पंडवानी

    लोरी, ददरिया,फुगड़ी आनी-बानी

    गिल्ली-डंडा, रेस टीप, भौँरा अउ बाँटी

    बासी चटनी संग छत्तीसगढ़ीया खांटी

    उन्नति के रद्दा म जी बढ़ आघू बढ़

    जय छत्तीसगढ़ जय- जय छत्तीसगढ़

    महानदी, इंद्रावती, अरपा, सोंढूर

    हमार महतारी बर,जल हे भरपूर

    हमन सबले सच्चा, हमन सबले बढ़िया

    हमन ढाई कोटि,सब्बो छत्तीसगढ़िया

    नवा छत्तीसगढ़ हमन गढ़बो जी सुघ्घड़

    जय छत्तीसगढ़ जय- जय छत्तीसगढ़

    माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़

    मौलिक एवं अप्रकाशित