अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें युगों से ईश्वर, ख़ुदा, भगवान, परमात्मा इत्यादि कहकर पुकारा जाता था।उनकी कोई देह न थी, पर उनकी…See More
२१२२ २१२२ २१२२ औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा, फैलता जो जा रहा हैरोशनी का अर्थ भी समझा रहा है चढ़ चुका है इक शिकारी घोसले तकक्या परिंदों को समझ कुछ…See More
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया जाना कभी-कभार या अपवाद स्वरूप तो स्वीकारा जा सकता है. लेकिन ऐसा बार-बार हो, उचित नहीं. ऐसी रचनाएँ…"
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं सहमत हूँ । भविष्य के सृजन में इन बिन्दुओं पर विशेष जोर रहेगा । हार्दिक आभार आदरणीय जी ।"