राजस्थानी साहित्य

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धरती रंग सुरंगी ...

धरती रंग सुरंगी सी 

मन मां रस जगावे रे 

ऊँचा ऊँचा टीबा इण रां

जीवण री आस जगावे रे

लहर लहर लहरियों उड़ उड़

आसमान पर छावे रे

पंछी भी तो गीत धरा का 

मधुर स्वरां म गावे रे 

धरती रंग सुरंगी सी 

मन मां रस जगावे रे 

डिम्पल गौड़ 'अनन्या '

(मौलिक और अप्रकाशित )