लघुकथा की कक्षा

समूह का उद्देश्य : लघुकथा विधा और उसकी बारीकियों पर चर्चा.

समूह प्रबंधक : श्री योगराज प्रभाकर


  • सदस्य कार्यकारिणी

    मिथिलेश वामनकर

    आदरणीय योगराज सर, लघुकथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए हार्दिक आभार. इस विधा के निये मैं बिलकुल नया अभ्यासी हूँ इसलिए इस कक्षा की आवश्यता महसूस हो रही थी. मंच पर लघुकथा की कक्षा देखकर मन झूम गया. यकीनन इस कक्षा से लाभान्वित होकर, इस विधा के अभ्यासी, सशक्त लघुकथाकार बनेंगे. इस शुभारम्भ पर ओबीओ के समस्त सदस्यों को हार्दिक बधाई.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    आदरणीय योगराजभाईजी, इस कक्षा की प्रतीक्षा एक अरसे से थी. लेकिन कहते हैं न, जब-जब जो-जो होना है.. तब-तब सो-सो होता है..

    ओबीओ के अश्वत्थ में एक और प्रभावी शाखा अँखुआयी है. इसके उत्तरोत्तर सुदृढ होते जाने के प्रति पूर्ण आश्वस्ति है. सर्वोपरि, यह कक्षा आपकी सरपरस्ती में लग रही है, यह अधिक आश्वस्तिकारी है.
    हार्दिक शुभकामनाएँ

  • jyotsna Kapil

    आदरणीय सर सादर नमन।मेरे जैसे नौसिखियों के लिए ये कक्षा अत्यावश्यक थी।बहुत आभार मुझे यहाँ दाखिला देने के लिए।

  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    भाई मिथिलेश जी, पिछले एक साल में बहुत से उदीयमान नवोदित लघुकथाकारों से सम्पर्क का मौका मिला। मैंने एक बात बहुत शिद्दत से महसूस की कि उचित मार्गदर्शन के आभाव में वे लोग सही दिशा पकड़ने में असमर्थ रहे। इसी मक़सद से मैंने अपने स्वभाव के विरूद्ध काफी समय सोशल मीडिया के विभिन्न लघुकथा समूहों में सर्फ किया। यथा शक्ति उन नवोदितों का मार्गदर्शन करने का प्रयास किया और उन्हें लघुकथा के मूलभूत सिद्धांतों से अवगत भी करवाया। उनमें से चुनिंदा गंभीर लोगों को ओबीओ की राह दिखाई। ऐसे में उन्हें एक मज़बूत मंच का साया प्रदान करना हमारा परम कर्तव्य बन जाता है। बस इसी उद्देश्य से इस समूह की स्थापना की गई है। 


  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    आ० सौरभ भाई जी, ओबीओ के स्वर्ण मुकुट में शायद इसी मणि की कमी हम सब काफी देर से महसूस कर रहे थे न ?बहरहाल, मंच ने मुझे इस समूह की कप्तानी के लायक समझा, मैं उपकृत महसूस कर रहा हूँ।  


  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    आपका हार्दिक स्वागत है आ० ज्योत्सना जी। 

  • kanta roy

    हृदय तल से शत शत आभार आपको हमें यह सार्थक मंच प्रदान करने के लिये । सच में हम भटक रहे थे यहाँ वहाँ ..।
    अब इस मंच के साये तले हमारी बहकती हुई लघुकथा की डाँवा डोल तकनीक की जानकारी को अब एक स्थिर संबल मिलेगा । हमारी प्रश्नों के भँवर अब गोल गोल घुमना बंद कर सही दिशा में जायेंगे इसकी हम आशा करते है । नमन श्री
  • kanta roy

    सर जी , क्या हम अपने निर्माणाधीन कथाओं पर यहाँ आपसे विचार ले सकते है ????
  • kanta roy

    सर जी , मै क्षमा चाहूँगी कि मै प्रश्नों का जखीरा लेकर उपस्थित हो गई एकदम से । क्या करू ... मेरे मन में बहुत प्रश्न जगते ही रहते है नये नये । क्षमा
  • विनोद खनगवाल

    आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, लघुकथा की कक्षा की शुरूआत के आपके बहुत बहुत आभारी हैं. लघुकथाकारों को अपनी मंज़िल तक पहुँचने का सुनहरी अवसर मिला है सभी लेखकों को इसका लाभ उठना चाहिए.

  • Madanlal Shrimali

    आदरणीय योगराजजी, लघुकथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए हार्दिक आभार।
  • Krish mishra 'jaan' gorakhpuri

    दाखिला देने के लिए हार्दिक आभार आ० योगराज सर!

  • Omprakash Kshatriya

    आदरणीय योगराज  भाई साहब , अब यहाँ भी आप से खुल कर बातचीत हो सकेगी. लघुकथा की कक्षा लगा कर आप ने बहुत अच्छा काम किया है . इस हेतु आप का आभार .

  • Janki wahie

    Ka kshya me pravesh dene ke liye hardik aabhari
  • Janki wahie

    Bahut ration ka bhandar milega yahan...jisne guna yahan ...use appar milega yahan...dhanywad sir.

  • प्रधान संपादक

    योगराज प्रभाकर

    यहाँ "भी" नहीं आ० ओमप्रकाश क्षत्रिय जी, यहाँ "ही"I

  • Nita Kasar

    लघुकथा कक्षा में प्रवेश देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय योगराज भाई जी ।
  • kanta roy

    सर जी , मेरा एक सुझाव है कि इस लघुकथा कक्षा में आप प्रतिदिन एक प्रश्न तकनीकों के आधार मानकर हमसब से पूछें और हम होमवर्क के साथ जबाव दे यहाँ उदाहरण स्वरूप । उदाहरण स्वरूप हमारे जबाव देने से हम सबको भी समझ में आयेगा की हम तकनीकों को जानने में कितने करीब है । नमन श्री
  • kanta roy

    मतलब यानि उदाहरण के साथ हमारा जबाव हो । कम से कम पाँच उदाहरण उससे जुड़े हुए हम प्रस्तुत करें प्रतिदिन । सादर