वृक्षों को मत काटिए, वृक्ष धरा शृंगार.
हरियाली वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार..
नदियाँ सब बेहाल हैं, इन पर दे दें ध्यान.
कचरा निस्तारित करें, बन जाएँ इंसान..
जैविक खेती है भली, धरती हो आबाद.
गोबर को अपनाइए, बचे रसायन खाद..
अदरक गमलों में उगे, उगें टमाटर लाल.
छत पर खेती भी करें, जीवन हो खुशहाल..
इसे आज ही त्यागिये, कभी न होती नष्ट.
पोलिथिन या प्लास्टिक, धरती को दे कष्ट..
कीट नाशकों का ज़हर, वार करे यह गुप्त.
पशु पक्षी बेहाल हैं, आज हुए कुछ लुप्त..
दूध पिलाते जो हमें, वही बने आहार.
इनसे कैसी दुश्मनी, क्यों होता संहार..
--अम्बरीष श्रीवास्तव
कुमार गौरव अजीतेन्दु
Jul 26, 2012
लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
हरियाली वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार..
इनसे कैसी दुश्मनी, क्यों होता संहार..
वास्तव में वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, और दूध देती गायों जैसे
चौपाया पशुओ का संहार कर हम अपनी ही बर्बादी कर रहे है |
इन पर सुन्दर दोहों के रूप में ध्यान आकृष्ट करने हेतु आप
हार्दिक बधाई के पात्र है,भाई अम्बरीश श्रीवास्तव जी|
Jul 26, 2012
SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
कीट नाशकों का ज़हर, वार करे यह गुप्त.
पशु पक्षी बेहाल हैं, आज हुए कुछ लुप्त..
Jul 26, 2012
Ashok Kumar Raktale
आदरणीय अम्बरीश जी
सादर नमस्कार,
इसे आज ही त्यागिये, कभी न होती नष्ट.
पोलिथिन या प्लास्टिक, धरती को दे कष्ट.
प्रकृति संरक्षण की जबरदस्त वकालत करते सुन्दर दोहे.वाह!
कीट नाशकों का ज़हर, वार करे यह गुप्त.
पशु पक्षी बेहाल हैं, आज हुए कुछ लुप्त..
और दुर्लक्ष्य करने का परिणाम भी दोहे में .वाह!
Jul 26, 2012
Er. Ambarish Srivastava
स्वागत है कुमार गौरव जी, इन दोहों को पसंद करने व सराहने कि लिए आपके प्रति हार्दिक आभार ...
Jul 27, 2012
Er. Ambarish Srivastava
स्वागत है आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, आपने इन दोहों के मर्म को समझते हुए इनकी सराहना की है .....इस हेतु आपके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित कर रहा हूँ ......
Jul 27, 2012
Er. Ambarish Srivastava
जय श्री राधे आदरणीय 'भ्रमर' जी, यह सन्देश जब हमारे मर्मस्थल को स्पर्श करेंगें तो इसका परिणाम अवश्य ही परिलक्षित होगा ...दोहों को सराहने के लिए आपके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित कर रहा हूँ ......सादर
Jul 27, 2012
Er. Ambarish Srivastava
सुप्रभात आदरणीय अशोक कुमार जी, आपने इन सभी दोहों के मर्म को महसूस करते हुए जो इन्हें सराहा है इस निमित्त आपके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित कर रहा हूँ .....सादर
Jul 27, 2012
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
क्षमा चाहती हूँ पढने में देरी हो गई ....बहुत ही शिक्षाप्रद उत्कृष्ठ दोहे अति सुन्दर हार्दिक बधाई आपको अम्बरीश जी
Jul 27, 2012
Er. Ambarish Srivastava
आदरेया राजेश कुमारी जी ! इसमें क्षमा मांगने जैसी क्या बात है ? आपने इन दोहों को सराह कर एक तरह से पर्यावरण संरक्षण में सहभागिता ही की है! आपका हार्दिक आभार आदरेया राजेश कुमारी जी ! सादर
Jul 27, 2012
आशीष यादव
आदरणीय अम्बरीश सर, दोहों के माध्यम से वृक्ष की महिमा का गुण-गान काफी सुखद अनुभूति प्रदान करता है। वृक्ष की कमी से उत्पन्न खतरों को भी उजागर किया आपने।
बधाई स्वीकार करें गुरुवर
Jul 27, 2012
Er. Ambarish Srivastava
प्रिय आशीष जी, इन दोहों के मर्म को समझने के लिए आपका स्वागत हारते हुए आपके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित कर रहा हूँ ....सस्नेह
Jul 27, 2012
अरुन 'अनन्त'
भ्राताश्री कितनी खूबसूरती से आपने वर्णन किया है. वाह मज़ा आ गया. बधाई
Jul 27, 2012
Er. Ambarish Srivastava
स्वागत है अनुज अरुण शर्मा जी ! हार्दिक आभार मित्र ! सस्नेह
Jul 27, 2012
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
आदरणीय अम्बरीश जी
Jul 28, 2012
Er. Ambarish Srivastava
भाई नीरज जी,
दोहे सुंदर आपके, मिला आपका प्यार.
सरस सजीली प्रतिक्रिया, भाईजी आभार..
Jul 29, 2012
Er. Ambarish Srivastava
डॉ० प्राची जी, आपका हार्दिक स्वागत है ! सादर
Jul 29, 2012
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
अदरक गमलों में उगे, उगें टमाटर लाल.
छत पर खेती भी करें, जीवन हो खुशहाल..
बहुत ही सारगर्भित दोहे हैं. उपयोगिता के हिसाब भी और दिशा के हिसाब से भी. सादर धन्यवाद आदरणीय.
Jul 31, 2012
Er. Ambarish Srivastava
आदरणीय सौरभ जी, दोहों की सराहना के लिए आपके प्रति आभार व्यक्त कर रहा हूँ
Jul 31, 2012
UMASHANKER MISHRA
जय हो अम्बरीश जी आपने हमारे दिल के दर्द को पिरो दिया है सुन्दर दोहों में
आपकी भावनाओं के सामने नतमस्तक हूँ|आपने पर्यावरण सुरक्षा के लिए
इतना सुन्दर ढंग से दोहा रचा है मन गद गद हो गया| ये सार्थक रचना है इसका प्रभाव
हर पढने वाले के मन में जरुर होगा|मै तो इसमें अमल करने की कोशिस कर रहा हूँ और करता ही रहूंगा
मै सरकार में होता तो आज ही इस रचना को पर्यावरण सुरक्षा के लिए राष्ट्र को समर्पित कर देता
स्कूलों में इसे पाठ्यक्रम में सम्मलित करवा देता एक एक लाईन गहरी और सार्थकता लिए हुए है
एक एक लाईन पर एक एक किताब का सार छिपा है
आदरणीय भाई बहुत बहुत बधाई साथ इतनी सुन्दर सार्थक पहल के लिए आभार
Jul 31, 2012
Er. Ambarish Srivastava
स्वागत है आदरणीय उमाशंकर जी, आप द्वारा कहे गए इन बेशकीमती वचनों के लिए कोटि-कोटि आभार प्रेषित कर रहा हूँ ....आदरणीय यह सभी दोहे अपने राष्ट्र को ही समर्पित हैं ..आप जैसे भी चाहें इनका प्रयोग करें ... सादर ...जय ओ बी ओ , जय हिंद !
Jul 31, 2012
सदस्य कार्यकारिणी
अरुण कुमार निगम
जनहित में जारी किये, दोहे सब अनमोल
भाव बड़े गम्भीर हैं और सरल हैं बोल |
आत्मसात करले इसे , गर सारा संसार
पहले जैसा खिल उठे , धरती का शृंगार |
Aug 1, 2012
लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
आदरणीय अम्बरीश जी सादर प्रणाम,
Aug 1, 2012
Er. Ambarish Srivastava
स्वागत है भ्राता अरुण, मिला आपका प्यार.
हुआ सार्थक श्रम सभी, भाई जी आभार.. सादर
Aug 1, 2012
SANDEEP KUMAR PATEL
आदरणीय सर जी
बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहे कहे हैं आपने
पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहने की जरुरत है
आपने बखूबी जन साधारण तक ये सन्देश पहुचा के अपने दायित्व का निर्वहन किया है
आपको साधुवाद साधुवाद साधुवाद
Aug 1, 2012
Sanjay Mishra 'Habib'
धरती खोती जा रही, पल पल अपना वेश.
हर दोहा है दे रहा, हितकारी सन्देश
खुबसुरत छंदमय आह्वान में आपके साथ आदरणीय अम्बरीश भईया...
सादर.
Aug 2, 2012
ganesh lohani
Aug 8, 2012
ganesh lohani
अदरक गमलों में उगे, उगें टमाटर लाल.
छत पर खेती भी करें, जीवन हो खुशहाल
आदरनीय अम्बरीश जी सादर नमस्कार बहुत सुन्दर दोहों की रचना आपका पर्यावरण प्रेम तो झलक ही रहा साथ ही बहुउपयोगी भी हैं | आपके आदेश का पालन कर मेनें भी अपने छत की छोटी बगिया में
भिन्डी तोरी गमले में उगाये , लौकी बेंगन होरही तेयार
हर रोज पुदीना मिलता घर है खुशहाल

Aug 8, 2012
Er. Ambarish Srivastava
प्रणाम ! आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी ! हार्दिक आभार मित्र !
Aug 8, 2012
Er. Ambarish Srivastava
स्वागत है भाई संदीप जी ! हार्दिक आभार मित्रवर !
Aug 8, 2012
Er. Ambarish Srivastava
स्वागत संजय आपका, सुंदर अपना देश.
हरी भरी धरती रहे , सुधरे यह परिवेश.
Aug 8, 2012
Er. Ambarish Srivastava
स्वागत है आदरणीय गणेश लोहानी साहब ! आपका हार्दिक आभार मित्र ! खूबसूरत चित्र पोस्ट करने के लिए हार्दिक धन्यवाद !
Aug 8, 2012